न्यूज डेस्क
सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर खुद अपने एक भाषण के लिए मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं। न्यायपालिका पर सवाल खड़े करना उनके लिए महंगा साबित हो सकता है। उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं के हेट स्पीच के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक हर्ष मंदर न्यायपालिक के खिलाफ दिए अपने बयान पर सफाई नहीं देंगे उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं की जाएगी।
अदालत की यह सख्ती हर्ष मंदर के उस वायरल वीडियो के बाद आई है जिसमें उन्होंने कथित तौर पर न्यायपालिक पर सवाल खड़े किए हैं। वीडियो में मंदर कह रहे हैं कि न्यायापालिका में अब भरोसा नहीं रह गया है ऐसे में अंतिम न्याय सड़कों पर होना है।
वहीं मंदर की तरफ से उनकी वकील करुणा नंदी ने कोर्ट को सफाई दी। उन्होंने कहा कि हर्ष मंदर ने ऐसी कोई बात नहीं की है।
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मंदर की टिप्पणी पर सख्ती दिखाते हुए अदालत ने उनकी वकील नंदी से कहा कि जब तक वे हर्ष मंदर की हेटस्पीच की ट्रांसक्रिप्ट नहीं देंगी और वे सफाई नहीं दे देते तब तक उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं होगी। उनके आरोप बेहद गंभीर हैं।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने मंदर की वकील से पूछा ‘कई लोगों ने कानून की महिमा का उल्लंघन किया है। क्या वे भी उनमें से एक हैं?
उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि आज उनकी सुनवाई नहीं होगी। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के समक्ष मंदर की जामिया इलाके में एक स्पीच की ट्रांसक्रिप्ट भी दी। यही नहीं मेहता ने मंदर द्वारा एक पुरानी याचिका का भी हवाला दिया जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों से राष्ट्र के प्रति वफादारी निभाने का आह्वान किया था।
मालूम हो कि सामाजिक कार्यकर्ता ने चुनाव के दौरान के भड़काऊ भाषणों के लिए उनपर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
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