जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर समाजवादी पार्टी फिर से मजबूत होती दिख रही है। कल तो जो परिवार बिखरा हुआ लग रहा था वहीं परिवार अब नेताजी के निधन के बाद एक हो गया है। दरअसल अखिलेश यादव और शिवपाल यादव जब से एक हुए है तब से बीजेपी पूरी तरह से टेंशन में आ गई है।
डिपल यादव की जीत के बाद से ही बीजेपी को अब लोकसभा चुनाव में उलटफेर होने का डर सताने लगा है। अभी तक शिवपाल यादव के सहारे अखिलेश यादव पर हमला बोलने वाली बीजेपी फिलहाल चाचा भतीजे का एक आना रास नहीं आ रहा है। इस वजह से चाचा और भतीजे को घेरने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ रही है।
शिवपाल यादव पर शिंकजा कसने के लिए बीते दिनों उपचुनाव के दौरान रिवरफ्रंट घोटाले में उनके खिलाफ सीबीआई ने जांच की अनुमति मांगी थी। इसको लेकर अखिलेश यादव ने अपने चाचा पूरा बचाव किया है और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है।
अखिलेश यादव ने बीजेपी को घेरते हुए कहा कि मैं तो ये कहूंगा कि मुख्यमंत्री को अधिकारियों के खेल में नहीं फंसना चाहिए।
बीजेपी को क्या बीमारी है इसका कोई पता नहीं है। उस बीमार का क्या इलाज होगा, इसका भी पता नहीं है. जब परिवार अलग-अलग होते हैं तो ये आरोप लगाते हैं कि परिवार एक नहीं कर सकते हैं. जब परिवार एक हो जाता है तो कहते हैं कि ये परिवारवादी पार्टी है।
आज जब पूरा नेताजी का चुनाव समझकर सब लोग.”अखिलेश यादव ने कहा, “जिस क्षेत्र से चाचा चुनकर आते हैं वो नेताजी का क्षेत्र रहा है, शुरुआती दौर में नेताजी वहां से कई बार विधायक रहे हैं।
वहां गांव-गांव और घर-घर नेताजी गए हैं. वहां के हर परिवार के सदस्य को वे जानते हैं। वहां कोई जब उनसे मिलता था तो नेताजी उसके साथ रहे थे. चाचा आ गए हैं, उनकी पार्टी का विलय हो गया है। मुझे लगता है यही दुख बीजेपी के लोगों का है।
जब से चाचा और भतीेजे एक साथ आए है तब से पूरी समाजवादी पार्टी का हाव-भाव पूरी तरह से बदल गया है। कभी दोनों के बीच रार चल रही थी लेकिन अब दोनों एक दूसरे की शान में कसीदे पढ़ते हुए नजर आ रहे हैं। दोनों के साथ आने से यूपी राजनीति में अच्छा खासा बदलाव देखने को मिल रहा है।