जुबिली न्यूज डेस्क
देश की शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि एनडीए की प्रवेश परीक्षा में महिलाओं को इसी साल से शामिल होने दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार ने कहा था कि नेशनल डिफेंस एकेडमी अगले साल यानी मई 2022 में महिलाओं को एंट्रेस एग्जाम में बैठने की इजाजत देगी।
केंद्र की इस मांग को अदालत ने ठुकरा दिया और कहा कि इस साल 14 नवंबर को होने वाली एनडीए परीक्षा में महिलाओं को बैठने दिया जाए।
अदालत ने सुनवाई के दौरान इसकी तुलना आपात स्थिति से करते हुए कहा कि सशस्त्र बल आपात स्थितियों से निपटने के लिए सबसे उपयुक्त है।
अदालत ने कहा कि परीक्षा के बाद अगर कोई समस्या आती है तो सरकार कोर्ट को सूचित कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नहीं चाहते कि महिलाओं को उनके अधिकार से वंचित किया जाए। रक्षा मंत्रालय को यूपीएससी के सहयोग से जरूरी कदम उठाने चाहिए।
अदालत ने यह भी कहा कि एक साल की देरी सब कुछ खत्म कर देगी। जस्टिस एसके कौल ने कहा कि हम प्रक्रिया में देरी नहीं करना चाहते लेकिन हम इस बारे में सटीक समय-सीमा नहीं तय करने जा रहे हैं कि किस तारीख तक यूपीएससी को अधिसूचना जारी की जानी चाहिए।
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कोर्ट ने कहा कि सशस्त्र बल बहुत सी आपात स्थितियों से निपटा है। उन्हें आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है और वे इससे निपटने में सक्षम होंगे।
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मंगलवार को केंद्र सरकार ने दायर हलफनामे में कहा था कि अब महिला अफसरों के लिए भी उपयुक्त चिकित्सा मानक तैयार करने की प्रक्रिया जारी है।
हलफनामे में कहा गया था कि सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा महानिदेशालय और विशेषज्ञों का निकाय तीनों रक्षा सेवाओं के लिए आवश्यक अभ्यास करेगा और उनकी उम्र, प्रशिक्षण की प्रकृति जैसे विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा मानकों का निर्धारण और निर्माण करेगा।