Saturday - 26 October 2024 - 3:22 PM

… यह सुनकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ये तो गज़ब है, बड़ा भयानक है

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की जिस धारा 66 ए को साल 2015 में ही खत्म कर दिया था वह धारा आज भी बदस्तूर काम कर रही है. पिछले सात साल में पुलिस इसके तहत एक हज़ार से ज्यादा मुकदमे दर्ज कर चुकी है. इस बात की जानकारी जब आज सुप्रीम कोर्ट को हुई तो तीन जजों की पीठ सर पकड़कर बैठ गई. पीठ ने कहा कि यह तो गज़ब है, जो चल रहा है वो बड़ा भयानक है.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च 2015 को आईटी एक्ट की धारा 66 ए को खत्म करने का फैसला सुनाते हुए कहा था कि यह क़ानून अभिव्यक्ति की आज़ादी का उल्लंघन है. इस क़ानून में यह व्यवस्था थी कि किसी ऑनलाइन प्लेटफार्म पर आक्रामक या अपमानजनक कंटेंट पोस्ट किये जाने पर पुलिस ऐसा करने वाले को गिरफ्तार भी कर सकती थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी को भी अपनी बात कहने से नहीं रोका जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर. नरीमन, जस्टिस के.एम.जोसेफ और जस्टिस जस्टिस बी.आर.गवई के सामने पीपुल यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट आईटी एक्ट की जिस धारा 66 ए को साल 2015 में ही खत्म कर चुकी है उसके तहत कार्रवाई अब भी जारी है. पिछले सात साल में इस धारा के तहत करीब एक हज़ार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई है.

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ यह सुनकर आश्चर्यचकित रह गई. पीठ ने कहा कि यह तो गज़ब है. हैरानी की बात है, भयानक है. हम सरकार को नोटिस जारी कर पूछेंगे.

यह भी पढ़ें : राजद स्थापना दिवस पर लालू के बोल : राबड़ी और तेजस्वी साथ न होते तो मैं रांची में ही खत्म हो जाता

यह भी पढ़ें : पूर्व सांसद दाउद अहमद के 100 करोड़ के अपार्टमेंट पर चला बुलडोजर

यह भी पढ़ें : कल्याण सिंह की हालत में सुधार नहीं, PGI शिफ्ट

यह भी पढ़ें : यह रोमांच था या पागलपन

यह भी पढ़ें : स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी के पास मिले 194 मगरमच्छ

पीपुल यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ ने अदालत से कहा कि वह केन्द्र सरकार को यह निर्देश जारी करे कि केन्द्र देश के सभी पुलिस थानों को यह बताये कि इस धारा के तहत केस न दर्ज किये जाएं, साथ ही पिछले सात साल में इस धारा के तहत जो केस दर्ज हुए हैं और जो कार्रवाई हुई है उसका डेटा भी थानों से माँगा जाए. इस संस्था ने कोर्ट को बताया कि खत्म हो चुके क़ानून की वजह से लोगों को परेशान किया जा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट को वकील संजय पारिख ने बताया कि यह धारा खत्म होने के बाद 1307 केस दर्ज हुए जिनमें से 570 मामले अभी भी अदालतों में लंबित हैं.

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com