जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. कोरोना संक्रमण से मरने वाले पारसी समुदाय के लोगों को उनके धार्मिक तौर तरीके से अंतिम संस्कार कि इजाजत देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोरोना संक्रमण से मरने वालों का अंतिम संस्कार पेशेवर लोग ही कर सकते हैं. शव को या तो जलाया जाएगा या फिर दफ्नाया जायेगा. किसी भी संक्रमित शव को खुले में रखे जाने कि इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि इससे पर्यावरण में भी संक्रमण फैलेगा और जानवर भी संक्रमित होकर इसे और फैलाएंगे.
जस्टिस चन्द्रचूड और जस्टिस बोपन्ना कि पीठ ने यह बात गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका में कही जिसमे गुजरात हाईकोर्ट ने पारसियों के शवों का अंतिम संस्कार करने वालों को हेल्थ वर्कर जैसा विशेष दर्जा देने कि मांग से इंकार कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट को ऐसा आदेश इस वजह से करना पड़ा क्योंकि पारसी समुदाय में शव को दफ्नाने और डाह संस्कार पर रोक है. पारसी समुदाय में किसी व्यक्ति कि मौत हो जाने पर शव को किसी ऊंची जगह पर रख दिया जाता है जिसे गिद्ध खाते हैं. बाद में शेष हड्डियों को दफना दिया जाता है. पारसी समुदाय कि आस्था यह है की मौत के बाद शरीर भी किसी का पेट भरने के काम आ जाए. पारसी समुदाय कि इस मांग को मानने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है क्योंकि ऐसी छूट दिए जाने से संक्रमण के और भी तेज़ी से फैलने कि संभावना हो सकती है.
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