जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ. सोनभद्र का उम्भा गाँव अचानक से फिर चर्चा में आ गया है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू अन्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ उम्भा गाँव जाते हुए आज गिरफ्तार किये गए हैं. दरअसल साल भर पहले 17 जुलाई को सौ बीघा ज़मीन को लेकर हुए विवाद में एक बड़ा संघर्ष हो गया था और उस संघर्ष में दस लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना में 28 लोग घायल भी हुए थे. इस संघर्ष में फायरिंग तो हुई ही थी, साथ ही लाठी, डंडे और फावड़े भी चले थे. इस मामले में 61 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुए थे और 38 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. एसआईटी इस मामले की पड़ताल में अभी भी लगी हुई है.
उम्भा गाँव की जिस ज़मीन को लेकर हुए विवाद में 10 लोगों की जान चली गई थी. इस काण्ड को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंभीरता से लिया था. डीएम और एसपी को तत्काल हटा दिया गया था. घोरावल के एसडीएम और एएसपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी. मामले की जांच करने गईं प्रमुख सचिव रेणुका कुमार ने डिप्टी उसपे घोरावल के खिलाफ पीड़ित पक्ष पर दबाव बनाने के लिए उनके खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे. उन्होंने एएसपी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के निर्देश भी दिए थे.
उम्भा गाँव में जिस ज़मीन को लेकर संघर्ष हुआ था दरअसल वह ज़मीन ग्राम सभा की थी. बिहार के राज्यसभा सदस्य महेश्वर नारायण सिंह ने राजा आनन्द शाह से ज़मीन लेकर आदर्श सोसायटी बना ली थी. 1989 में इसी ज़मीन में से कुछ जमीन एक आईएएस अधिकारी और उनके रिश्तेदारों के नाम कर दी गई. इन्हीं आईएएस अधिकारी से ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त शर्मा ने 90 बीघा ज़मीन खरीद ली. ग्राम प्रधान ने ज़मीन खरीदने के बाद अपनी ज़मीन पर कब्ज़े के लिए तीन सौ से ज्यादा लोगों को बुला लिया. ग्रामीणों ने ज़मीन पर कब्ज़े का विरोध किया तो प्रधान की तरफ से आये लोगों ने ग्रामीणों पर न सिर्फ फायरिंग कर दी बल्कि लाठी-डंडों और फावड़े से हमला बोल दिया.
अचानक शुरू हुए संघर्ष से हर तरफ खून ही खून दिखाई देने लगा. तमाम लोग खेतों में घायल होकर गिर गए. मौके पर पहुँची पुलिस लोगों को अस्पताल ले गई लेकिन तब तक 10 लोग दम तोड़ चुके थे. 28 लोग बुरी तरह घायल हुए थे, जिन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया गया. योगी आदित्यनाथ सरकार ने उम्भा काण्ड के बाद तय किया था कि उन 21 प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जायेगी जिन्होंने इस ज़मीन से लाभ हासिल किया था.
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उम्भा गाँव में हुए नरसंहार की जांच अभी भी एसआईटी के पास है. दोषियों को सजा दिलाने की मांग को लेकर ही कांग्रेस ने उम्भा गाँव जाने का फैसला किया था. साल भर पहले हुए नरसंहार के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी मौके पर गई थीं.