न्यूज डेस्क
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला 5 अगस्त से नजरबंद हैं। पिछले दिनों उन पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट भी लगा दिया गया। अब उनकी बहन इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की बहन ने पीएसए के तहत हिरासत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को याचिका दाखिल करने की अनुमति दे दी।
उमर की बहन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ से मामले को सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया। इस पर कोर्ट ने कहा कि वो विचार करेंगे।
सिब्बल ने पीठ को बताया कि उन्होंने पीएसए के तहत अब्दुल्ला की हिरासत को चुनौती देते हुए एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है और इस सप्ताह मामले की सुनवाई की जानी चाहिए। पीठ ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई।
गौरतलब है कि उमर अब्दुल्ला 5 अगस्त, 2019 से सीआरपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में थे। इस कानून के तहत, उमर की छह महीने की एहतियातन हिरासत अवधि गुरुवार यानी 5 फरवरी 2020 को खत्म होने वाली थी, लेकिन 5 जनवरी को सरकार ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) लगा दिया है। इसके बाद उनकी हिरासत को 3 महीने से 1 साल तक बिना किसी ट्रायल के बढ़ाया जा सकता है।
उमर और महबूबा पर पीएसए लगाने को लेकर पूर्व गृह मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा था कि दोनों नेताओं पर पीएसए के तहत मामला दर्ज होने को लेकर मैं हैरान हूं। आरोपों के बिना किसी पर कार्रवाई लोकतंत्र का सबसे घटिया कदम है। वहीं महबूबा मुफ्ती की बेटी ने भी ट्विटर पर मोदी सरकार पर निशाना साधा था।
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