न्यूज डेस्क
आखिरी चरण के चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच घमासान जारी है। सभी पार्टियां जीत के दावों के साथ मतदाताओं को अपनी तरफ लुभाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। पूर्वी यूपी के 13 सीटों पर 19 मई को मतदान होगा। किसान, विकास, राष्ट्रवाद और अली बजरंगबली के बाद चुनावी लड़ाई अब जातियों के अखाड़े में आ गई है।
इस बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सामने कांग्रेस और गठबंधन के अलावा एक और बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। दरअसल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी को झटका देते हुए उत्तर प्रदेश में तीन सीटों पर गठबंधन और एक सीट पर कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया है। इन सीटों पर राजभर की पार्टी के उम्मीदवारों का पर्चा खारिज हुआ था।
गौरतलब है कि ओमप्रकाश राजभर प्रदेश में 35 सीटों पर चुनाव लड़ रहे है। राजभर ने मिर्जापुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार ललितेशपति त्रिपाठी को समर्थन दिया है।
महाराजगंज में एसपी उम्मीदवार अखिलेश सिंह को समर्थन दिया है। वहीं बांसगांव में बीएसपी उम्मीदवार सदल प्रसाद को समर्थन दिया है। संतकबीर से भीष्म शंकर तिवारी (बीएसपी उम्मीदवार) को समर्थन किया है।
आपको बता दें कि राजभर की पार्टी का पूर्वांचल में खासा आधार है। पूर्वांचल में राजभर जाति के मतदाता कम से कम 12 जिलों में निर्णायक साबित हो सकते हैं। गाजीपुर में राजभर मतदाताओं की खासी संख्या है। इसलिए ये कयास लगाया जा रहा है कि यहां से चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को ओमप्रकाश राजभर की नाराजगी महंगी पड़ सकती है। राजभर कोहार, कुम्हार, खटिक, नट, बांसफोड़ जैसी अति पिछड़ी जातियों को जोड़ने में लगे हैं।
उन्होंने यूपी के लगभग हर जिले में समर्थकों को जोड़ना शुरू किया है और अति पिछड़ी जातियों के अहम नेता के रूप में उभरे हैं। बसपा में भी राजभर समुदाय के मजबूत नेता सुखदेव राजभर और रामअचल राजभर हैं। अगर राजभरों में यह संदेश गया कि बीजेपी ने उनकी जाति को कोई तवज्जो नहीं दी तो ये वोट बीएसपी को भी जा सकते हैं।
ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के समर्थक राजभर जाति के लोग देखेंगे कि अगर बीजेपी को बसपा और सपा का उम्मीदवार हरा सकता है तो वे उसे ही वोट देंगे। इससे कई सीटों पर बीएसपी, बीजेपी पर भारी पड़ सकती है।