स्पेशल डेस्क
कोरोना वायरस लगातार बढ़ रहा है। इसको रोकने के लिए लॉकडाउन को भी आगे बढ़ा दिया गया है लेकिन इस दौरान गरीबों को अच्छी-खासी परेशानी उठानी पड़ रही है।
लॉकडाउन लगने की वजह से देश में अब भी कई लोग अपने घरों से दूर है और जहां-तहां फंसे हुए है। इस वजह से कई गरीब प्रवासी मजदूरों को एक वक्त का खाना भी नसीब होना भी मुश्किल हो रहा है।
जो गरीब प्रवासी मज़दूर फंसे है उनको लगता है कि कोरोना से बाद में मरेंगे बल्कि शायद भूख से उनकी जान चली जाएगी। कुछ इसी तरह का मामला देश की राजधानी दिल्ली में देखने को मिली जब महक नाम की एक महिला ने अपना दर्द बयां किया है।
दरअसल इस महिला ने हाल में एक बेटी को जन्म दिया है। इस महिला का पति उत्तराखंड का रहने वाला है और दिल्ली में मजदूरी कर अपना परिवार का पेट पालता है। लॉकडाउन की वजह से उनके पास न तो पैसा और न ही कोई साधन है।
महक ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि बेटी के जन्म के बाद उसे और परेशानी उठानी पड़ रही है। उसने बताया कि खाना केवल एक बार नसीब होता
उसने अपना दर्द रोते हुए कहा कि ‘बस एक मुट्ठी चावल खाया है….दूध नहीं उतर रहा है….बेटी को कैसे पिलाऊं…’महक अकेली नहीं जो इस तरह की स्थिति का सामना कर रही है बल्कि और भी कई लोग है जो लॉकडाउन की वजह से अपने घर नहीं लौट पाये और पैसा भी खत्म हो गया है।
हालांकि सरकार ऐसे लोगों की मदद करने का दावा कर रही है लेकिन कोरोना वायरस से ज्यादा इन गरीबों को अब भूख से मरने की चिंता सता रही है।