जुबिली न्यूज डेस्क
बेंगलुरु, कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को ऐप-आधारित राइड-हेलिंग सेवाओं को बड़ा झटका देते हुए बाइक टैक्सी सेवाएं बंद करने का आदेश दिया है। हालांकि, कंपनियों को अपना संचालन पूरी तरह से बंद करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया गया है।
फैसले का मुख्य कारण
न्यायमूर्ति बीएम श्याम प्रसाद ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब तक राज्य सरकार मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 93 के तहत नियम नहीं बनाती, तब तक बाइक टैक्सियां संचालित नहीं हो सकतीं। यह फैसला रैपिडो, उबर इंडिया और ओला की उन याचिकाओं पर आया, जिनमें सरकार से एग्रीगेटर लाइसेंस जारी करने और बाइक टैक्सियों को ट्रांसपोर्ट सेवा के रूप में मान्यता देने की मांग की गई थी।
कर्नाटक सरकार का स्टैंड
- जुलाई 2021 में कर्नाटक सरकार ने बाइक टैक्सी सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था।
- इसके खिलाफ रैपिडो, उबर और ओला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
- हाईकोर्ट ने अस्थायी रूप से सरकार को इन कंपनियों पर कार्रवाई करने से रोका था।
हाईकोर्ट का आदेश: छह हफ्तों में बंद करें संचालन
न्यायमूर्ति श्याम प्रसाद ने बुधवार को कंपनियों को छह हफ्तों के भीतर अपना संचालन बंद करने का आदेश दिया। साथ ही, राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समय सीमा पूरी होने के बाद सभी बाइक टैक्सी सेवाएं पूरी तरह बंद हो जाएं।
सरकार की प्रतिक्रिया
- परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया।
- उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले पर नियम बनाने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
- रेड्डी ने बताया कि बिना किसी रेगुलेशन के संचालित ये सेवाएं यात्रियों की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय थीं।
राइड-हेलिंग कंपनियों की प्रतिक्रिया
- एक राइड-हेलिंग कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वे इस आदेश के खिलाफ अपील करेंगे।
- केंद्र सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि मोटरसाइकिलें कॉन्ट्रैक्ट कैरिज की परिभाषा में आती हैं, जो मोटर वाहन अधिनियम के तहत वैध है।
- हालांकि, परिवहन राज्य का विषय है, इसलिए इसकी कानूनी स्थिति तय करने का अधिकार राज्य सरकार के पास होता है।
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आगे क्या?
अब देखना होगा कि रैपिडो, उबर और ओला इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख अपनाती हैं या कर्नाटक सरकार नए नियमों के तहत बाइक टैक्सियों को कानूनी दर्जा देती है। फिलहाल, हजारों बाइक टैक्सी ड्राइवरों और यात्रियों के लिए यह फैसला बड़ा झटका साबित हो सकता है।