जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कहर का सबसे ज्यादा सामना करने वाले देशों में शामिल ईरान में करीब 7 महीने बाद फिर से स्कूल खुल गए। देश में कोरोना महामारी के फैलने के बाद सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया था।
देश के डेढ़ करोड़ बच्चों में से ज्यादातर स्कूल लौट आए हैं लेकिन यह उन्हीं इलाकों में संभव हुआ है, जहां पर कम संक्रमण है। स्कूल लौटने के बाद हालत यह है कि बच्चों को ‘कैद’ होकर पढ़ाई करनी पड़ रही है।
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ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने कहा था, ‘हमारे बच्चों का स्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है लेकिन शिक्षा भी जरूरी है।’ उन्होंने कहा, ‘इस साल स्टूडेंट्स के लिए सख्त नियम का साल होगा। ये कुछ उस तरह से होगा जैसे सेना के प्रशिक्षण शिविर होते हैं।’
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ईरान में पढ़ाई के लिए ऑड- ईवन का तरीका अपनाया गया है। एक दिन एक ग्रुप पढ़ने जाता है और दूसरे दिन दूसरा ग्रुप। उधर डॉक्टरों ने स्कूल खोलने पर चिंता जताई है।
हालांकि कुछ स्कूलों में कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए ईरानी बच्चों को विशेष रूप से तैयार किए गए नेट के अंदर बैठना पड़ रहा है जो चारों से ओर से पूरी तरह से बंद है। हर बच्चे के लिए अलग- अलग नेट है। ईरान के रेड जोन में संक्रमण की दर विशेष रूप से ज्यादा है और वहां पर स्कूल बंद हैं।
तेहरान समेत येलो जोन में संक्रमण का ज्यादा खतरा है लेकिन रेड जोन के मुकाबले कम है। येलो जोन में यह पैरंट्स पर छोड़ा गया है कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं या नहीं। जो बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, उन्हें वर्चुअल तरीके से पढ़ाया जा रहा है।
वर्चुअल पढ़ाई के लिए ईरानी प्रशासन ने सख्त नियम बनाए हैं। ये स्कूल केवल 35 मिनट तक ही पढ़ाएंगे। वर्चुअल क्लासेस को विशेष रूप से सरकारी टीवी चैनल पर दिखाया जा रहा है।
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