न्यूज डेस्क
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पूरी दुनिया के पर्यावरणविद चिंतित हैं। वर्ष 2018 पर्यावरण के लिए बहुत ही बुरा रहा। बीते साल अमेजॉन के जंगलों में आग लगने की वजह से पर्यावरण के खासा नुकसान हुआ तो वहीं साल के अंत में आस्ट्रेलिया के जंगल में आग लगने की घटना ने वैज्ञानिकों की चिंता को बढ़ा दिया है। आस्ट्रेलिया के जंगल आज भी जल रहे हैं।
इसके अलावा पिछले साल जहां वैज्ञानिकों ने ग्लेशियर की मौत पर मातम भी मनाया तो वहीं सबसे बड़े द्वीप ग्रीनलैंड में रिकार्ड गरमी की वजह से बर्फ पिघलने से वैज्ञानिकों को चिंता बढ़ी। यह तो हो गई बीते साल की बात। नये साल में शोधकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन का एक और सबूत पेश किया है।
नये शोध में पता चला है कि साल 2019 में महासागर का पानी अब तक के सबसे गर्म स्तर को छू चुका है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह डाटा ग्लोबल वार्मिंग का एक और सुबूत है।
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शोध से पता चला है कि दुनियाभर के महासागर तेजी से गर्म हो रहे हैं। दरसअल यह शोध चीनी जर्नल एडवांसेस इन एटमॉसफेरिक साइंसेस में छपा है, जिसके मुताबिक महासागर का तापमान पिछले दशक में रिकॉर्ड स्तर पर रहा।
यह शोध पृथ्वी के जल पर मानव प्रेरित गरमाहट के प्रभाव को दर्शाती है, जिससे समुद्र के तापमान में वृद्धि हुई है। साथ ही यह शोध कहता है कि सागरों का अम्लीकरण और चरम मौसम आने वाले दिनों में और अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। मालूम हो कि कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने के कारण महासागरों का पानी ऐसीडिक, यानी अम्लीय होता है।
शोधकर्ताओं में से एक प्रोफेसर जॉन अब्राहम कहते हैं, “1980 के दशक के बाद से महासागर के गर्म होने की गति लगभग 500 फीसदी बढ़ गई है। ”
प्रोफेसर अब्राहम जो मिनेसोटा की यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट थॉमस में थर्मल विज्ञान के प्रोफेसर हैं, इस नतीजे से हैरान नहीं हैं। प्रोफेसर जॉन के अनुसार, “ईमानदारी से कहूं तो नतीजे अनपेक्षित नहीं हैं। तापमान बढ़ रहा है। इसने और गति पकड़ ली है। यह बिना किसी कमी के बरकरार है। वास्तव में अगर हम कुछ महत्वपूर्ण और तुरंत नहीं करते हैं, तो यह गंभीर खबर है।”
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मानव जीवन पर गंभीर खतरा
शोधकर्ताओं के मुताबिक जिस गति से महासागर गर्म हो रहे हैं वह बहुत ही खतरनाक गति है। रिचर्स के अनुसार 1955 से 1986 की अवधि की तुलना में 1987 से 2019 की अवधि में गरमाहट की दर लगभग 4.25 गुना तेज हो गई है। प्रो. अब्राहम और उनके सहयोगियों ने पाया कि 1981-2019 के मध्य के मुकाबले सिर्फ 2019 में समुद्र का औसत तापमान 0.075 डिग्री सेल्सियस था।
बीजिंग के इंस्टीट्यूट ऑफ एटमॉसफेरिक फिजिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर और शोध के मुख्य लेखक लिजिंग चेंग पिछले 25 सालों में महासागर के तापमान में वृद्धि की तुलना “36 लाख हिरोशिमा परमाणु बम विस्फोट” से करते हैं। महासागरों का बढ़ता तापमान ना केवल समुद्री जीवन और भूमि पर जीवन, दोनों पर व्यापक प्रभाव डालता है।
शोधकर्ताओं ने पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी भीषण आग का भी उदाहरण दिया है जिस कारण वहां समुद्र के तापमान में भी बढ़ोतरी दर्ज हुई है। पूरे ऑस्ट्रेलिया में अभी तक आग से 80 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा जमीन नष्ट हो चुकी है और 25 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
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