जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी सऊदी अरामको ने चीन के साथ 10 अरब डॉलर (करीब 75 हजार करोड़) की एक डील खत्म करने का फैसला किया है। इस डील के तहत अरामको चीन के साथ मिलकर एक रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स बनाने वाली थी। चीन के लिए यह बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है।
अरामको ने अपने चीनी भागीदारों के साथ बातचीत के बाद चीन के पूर्वोत्तर प्रांत लिओनिंग में रिफाइनरी में निवेश नहीं करने का फैसला किया। इस मामले में अरामको ने टिप्पणी करने से भी इनकार कर दिया।
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दरअसल कोरोना के कारण तेल की गिरती कीमतों ने दुनिया भर में ऊर्जा कंपनियों की परियोजनाओं के लिए गणना को बदल दिया है। कच्चे तेल की गिरती कीमतों और बढ़ते कर्ज के बीच अरामको ने अपने पूंजीगत खर्च में भारी कटौती की योजना बनाई है।
जब क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पिछले साल फरवरी में बीजिंग में थे। इस डील पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस डील को उस समय एक प्रमुख सहयोगी के साथ एक ऐतिहासिक सौदे के रूप में देखा गया था।
सऊदी अरब एशिया के बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता था और उसने चीनी निवेश को प्रोत्साहित किया। सउदी को नॉरिनको और पेंजिन सिनकेन के साथ मिलकर एक इकाई बनाने के लिए तैयार किया गया था, जिसे हुजैन अरामको पेट्रोकेमिकल कंपनी कहा जाता है।
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