जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट में वक्फ क़ानून 1995 की धारा 4,5,6,7,8 और 9 की वैधानिकता को चुनौती दी गई है. अश्वनी उपाध्याय एडवोकेट ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सभी धर्मों के धर्मार्थ ट्रस्ट और धार्मिक संस्थाओं के लिए एक सामान क़ानून बनाने की मांग की है. इस याचिका में कहा गया है कि जिस तरह से वक्फ क़ानून की यह धाराएं वक्फ सम्पत्ति को विशेष दर्जा देती हैं जबकि हिन्दू, जैन, बौद्ध, सिक्ख और अन्य समुदायों के पास अपनी सम्पत्ति को वक्फ बोर्ड की लिस्ट में शामिल करने का कोई उपाय नहीं है.
अश्वनी उपाध्याय ने वक्फ कानून 1995 की बताई गई धाराओं को अन्य धर्मों के साथ भेदभाव करने वाला बताते हुए संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 में दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया है. याचिका में कहा गया है कि वक्फ कानून वक्फ बोर्ड को किसी भी सम्पत्ति को वक्फ सम्पत्ति घोषित करने का असीमित शक्ति देता है.
याचिका में कहा गया है कि वक्फ एक्ट वक्फ बोर्ड और वक्फ प्रापर्टीज़ को लेकर असीमित अधिकार देता है. इसके मुकाबले अन्य चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए भी एक सामान कानून बनाया जाना चाहिए. इस तरह से धार्मिक असमानता पैदा होती है. उन्होंने यह भी कहा है कि धार्मिक सम्पत्तियों से जुड़े विवादों का निबटारा सिर्फ सिविल कोर्ट में ही किया जाना चाहिए.
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