जुबिली न्यूज डेस्क
चमोली. जोशीमठ के डूबने की आशंका के बीच अब कर्णप्रयाग के कुछ घरों में नई दरारें दिखाई दी हैं. चमोली जिले में कर्णप्रयाग नगर पालिका के बहुगुणा नगर में कुछ घरों में ताजा दरारें देखी गईं. जोशीमठ और कर्णप्रयाग के अलावा उत्तराखंड के कई और इलाकों में भी जमीन खिसकने और धंसने का खतरा है. ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजक्ट के कारण श्रीनगर-गढ़वाल में भी भू-स्खलन का खतरा है, लोगों ने इसके खिलाफ विरोध भी जताया था.
इसी तरह आल वेदर रोड पर कई ऐसी जगहें हैं, जिनको प्रशासन ने पहले ही डेंजर जोन घोषित कर रखा है. रुद्रप्रयाग में बदरीनाथ हाईवे पर सिरोबगड़ डेंजर जोन एक ऐसा ही खतरनाक इलाका है. जहां बारिश के समय भू-स्खलन का खतरा हमेशा रहता है. प्रशासन ने नरकोटा के करीब भी कई डेंजर जोन की पहचान की है, जो बारिश के समय चारधाम यात्रा के रास्ते पर समस्या का कारण बनते रहे हैं. इस तरह देखा जाए तो उत्तराखंड के कई इलाकों में जोशीमठ जैसी आपदा का खतरा मंडरा रहा है.
होटलों और घरों को आज गिराया जाएगा
इस बीच अधिकारी जोशीमठ में उन होटलों और घरों को गिराना शुरू करेंगे, जिनमें भूस्खलन और जमीन के धंसने के कारण दरारें आ गई थीं. अधिकारियों ने कहा कि होटल मलारी इन और माउंट व्यू में और दरारें आ गई हैं. जिनको मंगलवार को ढहा दिया जाएगा. प्रशासन ने कहा कि सभी निवासियों को ‘असुरक्षित इलाकों’ से सुरक्षित निकाल लिया गया है. रुड़की के केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों की एक टीम की देखरेख में इमारतों को गिराने का काम शुरू होगा. एनडीआरएफ की एक टीम जरूरत पड़ने पर इमारतों को गिराने के काम में जिला प्रशासन की मदद के लिए तैयार है.
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मदद के लिए एनडीआरएफ मौजूद
एनडीआरएफ ने कहा कि विशेषज्ञ मौके पर हैं और प्रशासन उनके निर्देश और सलाह पर कार्रवाई करेगा. जबकि सोमवार को जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया था कि भू-धंसाव से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए एक केंद्रीय टीम चमोली जिले में आने वाली है. स्थानीय प्रशासन के साथ राहत और बचाव के प्रयासों में समन्वय करते हुए ये टीम आगे का रास्ता सुझाने वाली है.
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