Sunday - 27 October 2024 - 10:54 PM

अब Parle-G पर मंदी की परछाई, 10 हजार कर्मचारियों पर संकट के बादल

न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली। बिस्किट बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी पारले प्रॉडक्ट्स को कन्जंपशन में सुस्ती आने के कारण 8,000-10,000 लोगों की छंटनी करनी पड़ सकती है। कंपनी के कैटिगरी हेड मयंक शाह की माने तो ‘हमने 100 रुपये प्रति किलो या उससे कम कीमत वाले बिस्किट पर GST घटाने की मांग की है। ये आमतौर पर 5 रुपये या कम के पैक में बिकते हैं।’

हालांकि अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो हमें अपनी फैक्टरियों में काम करने वाले 8,000-10,000 लोगों को निकालना पड़ेगा। सेल्स घटने से हमें भारी नुकसान हो रहा है।

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GST लागू होने से पहले 100 रुपये प्रति किलो से कम कीमत वाले बिस्किट पर 12 पर्सेंट टैक्स लगाया जाता था। कंपनियों को उम्मीद थी कि प्रीमियम बिस्किट के लिए 12 पर्सेंट और सस्ते बिस्किट के लिए 5 पर्सेंट का GST रेट तय किया जाएगा।

हालांकि, सरकार ने दो साल पहले जब GST लागू किया तो सभी बिस्किटों को 18 पर्सेंट स्लैब में डाला गया। इसके चलते कंपनियों को इनके दाम बढ़ाने पड़े, जिसका असर सेल्स पर पड़ा। शाह ने बताया कि पारले को भी 5 पर्सेंट दाम बढ़ाना पड़ा, जिससे सेल्स में गिरावट आई।

पिछले महीने मार्केट रिसर्च कंपनी नीलसन ने FMCG सेक्टर के लिए 2019 का अपना ग्रोथ अनुमान 11-12 पर्सेंट से घटाकर 9-10 पर्सेंट कर दिया था। कंपनी ने ग्रामीण क्षेत्रों की डिमांड सुस्त होने के कारण ऐसा किया।

नीलसन ने कहा था कि सुस्ती का असर सभी फूड और नॉन-फूड कैटेगरी पर पड़ रहा है। इसका सबसे बुरा असर नमकीन, बिस्किट, मसाले, साबुन और पैकेट वाली चाय पर देखने को मिल रहा है।

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10 हजार करोड़ की सालाना सेल

कंपनी हर साल 10 हजार करोड़ रुपये के बिस्किट की बिक्री करती है। पारले प्रोडक्ट के कैटेगिरी हेड मयंक शाह ने कहा कि हम सरकार से जीएसटी कम करने की मांग कर रहे हैं। 100 रुपये प्रति किलो की कीमत वाले बिस्किट पर सबसे ज्यादा जीएसटी लग रहा है।

यह बिस्किट पांच रुपये के पैकेट में बेचा जाता है। इससे कंपनी की लागत भी नहीं निकल रही है, जिससे अब लोगों को निकालने के सिवा कोई और रास्ता नहीं बचा है। हालांकि अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो हमें अपनी फैक्टरियों में काम करने वाले 8,000-10,000 लोगों को निकालना पड़ेगा।

ग्रामीण भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट

कंपनी हर साल पारले-जी, मोनेको और मेरी गोल्ड बिस्किट का उत्पादन करती है। हाल ही में कंपनी ने प्रीमियम सेगमेंट के लिए भी कूकीज का उत्पादन शुरू किया था। पारले-जी पूरे देश में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट है।

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कंपनी की पूरे देश में 10 फैक्ट्रियां हैं, जहां पर एक लाख लोग काम करते हैं। इसके अलावा 125 थर्ड पार्टी प्लांट भी हैं, जहां बिस्किट का उत्पादन किया जाता है। कंपनी के उत्पादों की सबसे ज्यादा बिक्री ग्रामीण भारत में होती है।

लपेटे में ब्रिटानिया भी आई

देश की दूसरी सबसे बड़ी बिस्किट निर्माता कंपनी ब्रिटानियां का कहना है कि लोग अब पांच रुपये वाले बिस्किट का पैकेट भी खरीदने के लिए दो बार सोचते हैं। इससे हिसाब लगाया जा सकता है कि लोगों के पास पांच रुपये भी खर्च करना कितना महंगा लग रहा है।

ब्रिटानिया के मैनेजिंग डायरेक्टर वरुण बेरी ने कहा कि ‘हमारी ग्रोथ सिर्फ छह फीसदी हुई है। मार्केट ग्रोथ हमसे भी सुस्त है।’ नुस्ली वाडिया की कंपनी ब्रिटानिया का साल-दर-साल का शुद्ध लाभ जून तिमाही में 3.5 पर्सेंट घटकर 249 करोड़ रुपये रहा।

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