न्यूज डेस्क
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार को हुई हिंसा की देश ही विदेश में भी आलोचना हो रही है। बीजेपी सरकार पर छात्रों की आवाज दबाने का आरोप लग रहा है। कुछ दिनों पहले जामिया कैंपस में छात्रों के साथ हिंसा किया गया तो रविवार को जेएनयू में।
जेएनयू हिंसा के विरोध में सोमवार को देश के कई कैंपसों के अलावा अमेरिका के ऑक्सफोर्ड व कोलंबिया यूनीवर्सिटी में भी प्रदर्शन हुआ। छात्र, राजनीतिक दलों से लेकर उद्योगपतियों तक ने इस पर विरोध जताया।
विपक्ष ने इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया तो वहीं बीजेपी ने कांग्रेस और लेफ्ट को। वहीं इस हिंसा पर भाजपा के पूर्व दिग्गज और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने केंद्र सरकार पर दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाया।
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यशवंत सिन्हा ने कहा कि केन्द्र सरकार ने कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों जैसा बनाने का दावा किया था, लेकिन हुआ उसके उलट है।
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भाजपा छोड़ चुके यशवंत सिन्हा ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बाहर सीएए के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री सिन्हा ने कहा कि जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों पर रविवार को हुए हमले से “सरकारी गुंडों और सरकारी पुलिस” में कोई भेद नहीं रह गया है। उन्होंने पुलिस पर असामाजिक तत्वों का साथ देने का आरोप लगाया।
सिन्हा ने कहा कि वह उस पांच सदस्यीय दल में शामिल थे जो प्रतिबंधों के बावजूद चार साल पहले कश्मीर गया था और स्थानीय लोगों व अन्य समूहों से बात करने के बाद केंद्र सरकार के लिए एक रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें समस्या के समाधान के लिए बातचीत का प्रस्ताव दिया गया था।
उन्होंने कहा, ”केन्द्र सरकार में मौजूद लोगों ने देश के बाकी हिस्सों जैसा कश्मीर को बनाने का दावा किया था। आज पांच महीने बाद कश्मीर भारत के किसी हिस्से जैसा नहीं बना लेकिन बाकी देश कश्मीर जैसा बन गया है।”
उन्होंने कहा कि अगर कोई शोपियां, बारामुला या पुलवामा जाए तो उसे सुरक्षाबलों की भारी तैनाती दिखेगी और ऐसा ही परिदृश्य दिल्ली का भी हो गया है जहां कालेजों के आसपास भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है।
जेएनयू में हुई हिंसा पर पूर्व भाजपा नेता सिन्हा ने कहा,” आप जहां भी देखेंगे दमन चक्र दिखाई पड़ेगा। पहले वह आवाज को दबाने के लिए पुलिस का प्रयोग करते थे लेकिन अब वह गुंडों का भी प्रयोग करने लगे हैं। कल जेएनयू में जो कुछ भी हुआ वह बहुत कुछ यही दिखाता है…सरकारी पुलिस और सरकारी गुंडों का जो फर्क था वो सब खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस यहां निर्दोष लोगों की नहीं, गुंडों की सहायता करती है। पूरे देश में यही विचित्र सी स्थिति है।”
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