Monday - 28 October 2024 - 2:07 AM

अब BSNL, RAILWAY और रक्षा मंत्रालय की जमीन से पैसे कमाने की तैयारी में मोदी सरकार

जुबिली न्यूज डेस्क

सरकारी संस्थानों के निजीकरण के साथ-साथ अब मोदी सरकार की नजर विभागों की खाली पड़ी जमीनों पर है। मोदी सरकार अब बड़े मंत्रालयों और विभागों की खाली पड़ी अतिरिक्त जमीन से पैसे जुटाने की तैयारी में है।

मोदी सरकार के निजीकरण के फैसले का लगातार विरोध हो रहा है बावजूद सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। सरकार एक के बाद एक संस्थानों का निजीकरण या तो अपनी हिस्सेदारी बेंच रही है।

जानकारी के अनुसार अब जिन मंत्रालयों और विभागों की जमीन का मुद्रीकरण में इस्तेमाल किया जाना है, उनमें रेलवे, टेलिकम्युनिकेशंस और रक्षा मंत्रालय शामिल हैं।

दरअसल सरकार इन जमीनों पर संसाधनों के जरिए देशभर में नई इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़े करने की योजना बना रही है।

सूत्रों के मुताबिक कई मंत्रालयों ने अतिरिक्त जमीन की जानकारी इक_ा करने के बाद इन पर कमर्शियल डेवलपमेंट और इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की योजना को मंजूरी भी दे दी है, ताकि इनसे सरकार की कमाई हो सके।

सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “दरअसल केंद्रीय बजट में सरकारी संपत्तियों के मुद्रीकरण पर जोर दिया गया था, ताकि मौजूदा संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल किया जा सके।”

अफसर ने बताया कि रेलवे और रक्षा मंत्रालय अपनी अतिरिक्त भू-संपत्ति के मुद्रीकरण की योजना तैयार करने वाले हैं। अधिकारी के मुताबिक इन मंत्रालयों ने समीक्षा की है और इस बारे में विस्तृत चर्चा भी हुई है। सरकारी कंपनियों में बीएसएनएल मुद्रीकरण की योजना के साथ आगे बढ़ रही है, जिससे इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने में मदद मिलेगी।

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मालूम हो कि रेलवे और रक्षा मंत्रालय देश में सबसे बड़े सरकारी जमीन के मालिक हैं। हालिया सरकारी आंकड़ों के अनुसार रेलवे के पास अभी 4.78 लाख हेक्टेयर (11.80 लाख एकड़) जमीन है और इसमें 4.27 लाख हेक्टेयर जमीन पर रेलवे और साथी संस्थाओं के ही कामों में आ रही है, जबकि 0.51 लाख हेक्टेयर (1.25 लाख एकड़) जमीन खाली पड़ी है।

वहीं रक्षा मंत्रालय के पास सबसे ज्यादा 17.95 लाख एकड़ जमीन पड़ी है। इनमें 1.6 लाख एकड़ का इलाका 62 कैंटोनमेंट जोन में है, जबकि 16.35 लाख एकड़ इनकी सीमाओं के बाहर हैं। रक्षा मंत्रालय ने भी खाली पड़ी जमीन के मुद्रीकरण के लिए समीक्षा शुरू कर दी है। इसे सरकारी कंपनियों के साथ साझेदारी में पूरा किया जा सकता है।

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भारतीय रेलवे के जमीन विकास प्राधिकरण ने अपनी भू-संपत्तियों के वाणिज्यिक विकास और मुद्रीकरम के पहले ही कई मॉडल्स लागू किए हैं। इनमें पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) और राज्य सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ विकास कार्य कराना भी शामिल है।

बताया गया है कि रेलवे मौजूदा साल में डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स के लिए 15 हजार करोड़ रुपए के टेंडर जारी करने की योजना पर काम कर रहा है, जो कि पिछले साल के मुकाबले पांच गुना है।

अफसर के अनुसार वहीं बीएसएनएल ने ऐसी करीब एक दर्जन संपत्तियों की पहचान कर ली है, जिनसे पैसे जुटाए जा सकते हैं। इनमें से कुछ पर इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किए जाएंगे। यह प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है और इसे पूरा होने में छह महीने का समय लगेगा।

बताया गया है कि बीएसएनएल के पास 24,980 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी है, जिसकी मुद्रीकरण के लिए पहचान की गई है।

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