- बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब एंड सिंध बैंक समेत इन बैंकों से हो सकती है शुरुआत
- बीते तीन सालों में सरकारी बैंकों की संख्या 27 से हुई 12
- मोदी सरकार एक बार फिर से 51 साल बाद पुराने दौर में लौटने की तैयारी में
न्यूज डेस्क
2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार का सबसे ज्यादा जोर निजीकरण पर रहा है। इन छह सालों में मोदी सरकार ने देश की कई बड़ी-बड़ी सरकारी संस्थाओं को निजी हाथों में सौंप दिया। हालांकि इसका एक तबके ने जोरदार विरोध भी किया, बावजूद मोदी सरकार निजीकरण करने से पीछे नहीं हट रही है।
अब मोदी सरकार बैंकिंग सेक्टर में बड़े पैमाने पर निजीकरण की ओर कदम बढ़ाने की तैयारी में दिख रही है। 1969 में देश में इंदिरा गांधी सरकार ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था, लेकिन अब मोदी सरकार एक बार फिर से 51 साल बाद पुराने दौर में लौटने की तैयारी में है।
ये भी पढ़े: कोरोना काल में कैंसर और डायबिटीज के मरीजों की हालत खस्ता
ये भी पढ़े: मानवता पर गंभीर सवाल खड़ी कर रही है गर्भवती हथिनी की मौत
ये भी पढ़े: बहुत पुराना है अमेरिका में रंगभेद का इतिहास
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने इस तरह का प्रस्ताव पेश किया है, जिस पर सरकार की ओर से विचार किया जा रहा है।
केंद्र सरकार का मानना है कि लंबे समय तक टैक्सपेयर्स की रकम को बैंकों को बेलआउट पैकेज देने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इस प्रक्रिया की शुरुआत पंजाब एंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र्र और इंडियन ओवरसीज बैंक के निजीकरण से की जा सकती है।
बीते कुछ सालों में कई सरकारी बैंकों का आपस में विलय हुआ था, जिनमें ये तीनों ही बैंक शामिल नहीं थे। ऐसे में इनके निजीकरण से ही शुरुआत की जा सकती है।
केंद्र सरकार को नीति आयोग ने सलाह दी है कि बैंकिंग सेक्टर में लंबे समय के लिए निजी निवेश को मंजूरी दी जानी चाहिए। इतना ही नहीं आयोग ने देश के बड़े औद्योगिक घरानों को भी बैंकिंग सेक्टर में एंट्री करने की अनुमति देने का सुझाव दिया है। हालांकि ऐसे कारोबारी घरानों को लेकर यह प्रावधान होगा कि वे संबंधित बैंक से अपने समूह की कंपनियों को कर्ज नहीं देंगे।
ये भी पढ़े: कॉरोना का उत्तर पक्ष : दुनिया का स्त्री बनना
ये भी पढ़े: निसर्ग तूफान : अलर्ट पर महाराष्ट्र , NDRF तैनात
बीते कई सालों से सरकार सरकारी बैंकों का आपस में विलय करने में जुटी है। बीते तीन सालों में सरकारी बैंकों की संख्या 27 से 12 हो गई है। इसी साल 1 अप्रैल से 10 सरकारी बैंक विलय के बाद 4 बैंकों में तब्दील हो गए हैं।
कैनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक का आपस में विलय हो गया है। वहीं इंडियन बैंक में इलाहाबाद बैंक का विलय हो गया है। दिग्गज सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और युनाइटेड बैंक ऑफ का विलय हुआ है। फिलहाल देश में सिर्फ 12 सरकारी बैंक ही रह गए हैं, जिनमें भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब ऐंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, केनरा बैंक, यूको बैंक, इंडियन बैंक आदि शामिल हैं।