जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। नई सरकार बनने के बाद संसद सत्र शुरू हो गया है। मोदी तीसरी बार पीएम बन गए है जबकि राहुल गांधी अब विपक्ष के नेता बन गए है। ऐसे में इस बार संसद की तस्वीर पूरी तरह से बदली हुई नजर आ रही है।
कांग्रेस को ये पद दस साल बाद मिला है क्योंकि इससे पहले उसकी सीट काफी कम थी जिस वजह से ये पद खाली जा रहा था लेकिन हाल ही हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भले ही अपनी सरकार नहीं बना सकी हो लेकिन उसने 99 सीट जीतकर बीजेपी को टक्कर दी है।
लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद नई सरकार का गठन होने के बाद से ये चर्चा जोर पकड़ रही थी कि विपक्ष का कौन नेता होगा लेकिन कल यानी मंगलवार को कांग्रेस ने अपने सहयोगियों से मिलकर बात की और फिर राहुल गांधी के नाम का ऐलान कर दिया। राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष बनने के कई मायने हैं।
राहुल गांधी अब तक सीधे तौर पर मोदी को चुनौती देते थे और एनडीए के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। बीते दस सालों में वो अकेले मोदी के फैसले पर सवाल उठाते रहे हैं। इतना ही नहीं बीजेपी पहले उनको गंभीरता से नहीं लेती थी लेकिन अब हालात बदल गए है और बीजेपी राहुल गांधी की हर एक गतिविधी पर पैनी नजर रखती है और उनको टारगेट करती है।
अब जब वो विपक्ष के नेता के तौर पर संसद में नजर आयेंगे तो मोदी सरकार के लिए आने वाले दिनों में काफी परेशानी हो सकती है। राहुल गांधी अब उस कमिटी का हिस्सा बन जाएंगे, जो सीबीआई के डायरेक्टर, सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर, मुख्य सूचना आयुक्त, ‘लोकपाल’ या लोकायुक्त, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के चेयरपर्सन और सदस्य और भारतीय निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करती है।
इतना ही नहीं इन सारी नियुक्तियों में राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उसी टेबल पर बैठेंगे, जहां प्रधानमंत्री मोदी बैठेंगे और पहली बार ऐसा होगा, जब इन फैसलों में प्रधानमंत्री मोदी को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी से भी उनकी सहमति लेनी होगी। ऐसे में मोदी सरकार के लिए आने वाले दिनों में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
मोदी के हर फैसले पर अब सीधे तौर पर राहुल गांधी चुनौती दे सकते हैं और इस वजह से मोदी सरकार की नींद उडऩा तय माना जा रहा है। दूसरी तरफ राहुल गांधी को अब विपक्ष के नेता के तौर पर अपनी छाप छोडऩी होगी। दूसरी तरफ बीजेपी ने 240 सीट जीती है लेकिन बहुमत का आंकड़ा नहीं छू सकी। इस वजह से उसे अपने सहयोगियों के सहारे सरकार बनानी पड़ती है।