जुबिली न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण की कई सीटों पर बसपा के जाति कार्ड खेलने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. पश्चिमी यूपी में मायावती का एक खास वोट बैंक भी है. इसके अलावा, सपा कांग्रेस से नाराज लोगों के भी बसपा की तरफ जाने की संभावना है. राजनीतिक जानकर बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने पहले चरण की आठ में से एक बिजनौर सीट रालोद को दी है. इस पर रालोद ने चंदन चौहान को उतारा है.
बीजेपी ने सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर अपने प्रत्याशियों पर दोबारा भरोसा जताया है. सपा और कांग्रेस के इंडिया गठबंधन ने भी चुनावी मोहरे सोच समझकर चले हैं लेकिन बसपा ने बहुत सही गणित लगाकर मुकाबलों को दिलचस्प बना दिया है.
पश्चिम की कई ऐसी सीटें है जहां पर बसपा की स्थिति मजबूत है. कैराना सीट से भाजपा ने अपने सांसद प्रदीप चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. समाजवादी पार्टी ने कैराना से लगातार तीसरी बार मौजूदा विधायक चौधरी नाहिद हसन की छोटी बहन इकरा हसन को लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी की घोषणा की है. उनके परिवार का राजनीतिक रसूख ठीक ठाक है. बसपा की तरफ से श्रीपाल राणा मैदान में हैं. मुख्य मुकाबला इस बार प्रदीप, इकरा और श्रीपाल राणा के बीच ही है.
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
बता दे कि विश्लेषक अमोदकांत मिश्रा का कहना है कि पश्चिमी यूपी मायावती का गढ़ आज से नहीं जमाने से है. अगर चुनावी ट्रैक को देखें तो बिजनौर और आस पास की सीटों पर उनका वर्चस्व रहा है. उन्होंने बताया कि बिजनौर में मायावती का उम्मीदवार सबसे ज्यादा ताकतवर लग रहा है. बिजनौर सीट पिछली बार भाजपा हार गई थी लेकिन इस बार यह सीट गठबंधन कोटे में रालोद के हिस्से में चली गई. 2019 में यहां से बसपा जीती थी.
इंडिया गठबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं
बसपा की तरफ से चौधरी विजेंद्र सिंह इस बार उतरे हैं. सपा ने दीपक सैनी को उतारा है. ऐसे में सभी दलों से नए प्रत्याशियों के बीच इस बार मुकाबला होगा. चौधरी यहां के जाट नेता हैं. वह पहले रालोद में भी रह चुके हैं. बसपा के जाट कार्ड से इंडिया गठबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इस सीट पर जाटों की संख्या ठीक ठाक है. मायावती ने यहां से जाट, मुस्लिम और दलित कार्ड खेला है.