जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी के बीच में देश में हर दिन लाखों लोगों का कोरोना जांच हो रहा है। कोरोना जांच के लिए कई तकनीक अपनाई जा रही है लेकिन लोगों का ज्यादा भरोसा आरटी-पीसीआर जांच पर होता है।
फिलहाल कोरोना जांच के लिए एक और तकनीक आ गई है जिसकी मदद से सिर्फ तीन घंटे में ही पता चल जायेगा कि आपको कोरोना है या नहीं। इसमें गरारा करके कोरोना के बारे में पता लगाया जा सकेगा।
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने यह तकनीक इजाद की है।आईसीएमआर ने भी इस तकनीक को मंजूरी दे दी है।
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस तकनीक को रिमार्कबल इनोवेशन करार दिया है। उन्होंने कहा, ”यह स्वैब फ्री तकनीक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।”
नीरी के पर्यावरण वायरोलॉजी सेल के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कृष्णा खैरनार ने बताया, ”सैंपल कलेक्शन को आसान और पेशेंट फ्रेंडली बनाने के लिए नीरी ने सोचा था। कम से कम मरीज को तकलीफ पहुंचा कर कलेक्शन ले सकते हैं।
उन्होंने कहा कि सलाइन को पीना पड़ता है और फिर गरारा करना पड़ता है। तीन घंटे में हम आरटी-पीसीआर वाली रिपोर्ट दे सकते हैं। हमें अभी आईसीएमआर की मंजूरी मिल गई है और बाकी लैब्स को ट्रेनिंग देने के लिए हमसे कहा गया है। नीरी में आज पहला बैच आया है, जिसकी टेस्टिंग बाकी है।
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उन्होंने आगे कहा कि लोग खुद से भी यह टेस्टिंग कर सकेंगे, जिससे टेस्टिंग सेंटर पर भीड़ नहीं लगेगी और इससे काफी समय भी बचेगा। साथ ही सेंटर पर दूसरों से संक्रमित होने का खतरा भी नहीं होगा।
मालूम हो कि पिछले दिनों कोविसेल्फ किट लॉन्च की गई थी, जिसमें 15 मिनट पर कोरोना का पता लगाया जा सकता है। इस किट की कीमत टैक्स मिलाकर 250 रुपये रखी गई है। किट के साथ एक मैन्युल होता है, जिसमें बताया जाएगा कि बिना किसी स्वास्थ्यकर्मी की मदद लिए आप कैसे खुद ही कोरोना की जांच कर सकते हैं।
चूंकि यह रेपिड एंटीजन टेस्ट है, इसमें केवल नेजल स्वैब की जरूरत होगी। टेस्ट में केवल 2 मिनट का समय लगेगा और 15 मिनट के भीतर आपको परिणाम पता चल जाएगा। पॉजिटिव रिपोर्ट उससे भी काफी पहले आ जाएगी। यदि रिपोर्ट 20 मिनट के बाद आती है तो यह अवैध माना जाएगा।
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