अशोक बांबी
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए भारत और न्यूजीलैंड के बीच पहला टेस्ट मैच कीवीयो की झोली में जाता हुआ नजर आ रहा है ।
पांचवे दिन का खेल जब न्यूजीलैंड लक्ष्य का पीछा करने उतरेगा मेरे विचार से यह कोई उनके लिए बड़ा लक्ष्य नहीं होना चाहिए । लेकिन क्रिकेट का खेल अनिश्चितता का खेल है और जब भारत 46 रनो पर आउट हो सकता है तो न्यूजीलैंड टीम भी भारतीय सरजमी पर 100 रनों से कम पर आउट हो सकती है । लेकिन इसकी संभावना कम है ।
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सरफराज और पंत जिस समय क्रीज पर डटे हुए थे तो ऐसा लग रहा था कि भारत एक विशाल स्कोर खड़ा करेगा जिसके दबाव में कीवी खिलाडी आ सकते है।
400 के स्कोर पर जब भारत के 3 विकेट आउट थे तो लग रहा था कि भारत 600 रनो का बड़ा स्कोर खड़ा करेगा और विपक्षी टीम को अंतिम दिन दबाव में ला सकता है लेकिन जब 7 विकेट जब मात्र 19 ओवरों मे 62 रनो पर गिर गए तो न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों की बांछे खिल गई।
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सरफराज का भारतीय टीम में प्रवेश बड़ी मुश्किल से हुआ है और जब वे पहली पारी में शून्य पर आउट हो गए तो उनकी नैया डुबती हुई नजर आई। लेकिन दाद देनी होगी इस जबरदस्त खिलाड़ी को जिसने न केवल अपनी नैया को डूबने से बचाया बल्कि अपनी टीम को सांस लेने का मौका दिया। वे इस तरह से खेल रहे थे जैसे रणजी ट्रॉफी में खेल रहे हो। उनकी यह बेहतरीन पारी निश्चित तौर पर उनका कैरियर को आगे ले जाने में मदद करेंगी बशर्ते नौशाद मियां अपनी टांग ना अड़ाए।
घायल पंत भी बहुत अच्छा खेले और शतक से उस समय चूक गए जब साढ़े छह फिट के रोरक की एक शानदार गेंद ने उनकी आशाओ पर पानी फेर दिया। हेनरी व रोरक ने शानदार व दमखम से गेंदबाजी करी और मैच उस समय अपने पक्ष में कर लिया जब भारत ने अपने 6 बल्लेबाज मात्र 29 रनो पर गंवा दिए। भारत को हार से अब या तो इंद्र देवता बचा सकते है या फिर बूम बूम बुमराह।