जुबिली न्यूज डेस्क
हिजाब विवाद के बाद अब कर्नाटक में स्कूलों में गीता पढ़ाने को लेकर बहस छिड़ गई है। शनिवार को कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा कि भगवद गीता को स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला चर्चा के बाद किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि शास्त्र नैतिक मूल्यों को प्रदान करता है।
भाजपा के कई नेताओं ने स्कूलों में गीता पढ़ाने की वकालत की है। दरअसल गुरुवार को गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतू वघानी ने कहा कि प्रदेश के स्कूलों में इसी सत्र से कक्षा 6 से 12 तक भगवद् गीता पढ़ाई जाएगी।
गुजरात सरकार के इस फैसले के बाद शुक्रवार को कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा था कि राज्य सरकार नैतिक विज्ञान शिक्षा के हिस्से के रूप में इस संबंध में निर्णय लेने से पहले शिक्षाविदों के साथ चर्चा करेगी।
इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सुझाव दिया है कि गुजरात की तरह ही हर राज्य की सरकार को स्कूलों में भगवद् गीता पढ़ाना शुरू करने के बारे में सोचना चाहिए।
मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “भगवद् गीता हमें नैतिकता सिखाती है। ये हमें समाज के कल्याण के प्रति हमारी जिम्मेदारी दिखाती है। इसमें कई नैतिक कहानियां है जो हमारे छात्रों को प्रेरित कर सकती है। हर राज्य की सरकार इस बारे में सोच सकती है।”
वहीं इस बहस पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि भगवद गीता को गुजरात में स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। हमारे मंत्री ने कहा है कि वे इस पर चर्चा करेंगे। देखते हैं कि शिक्षा विभाग क्या विवरण देता है।
पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को शिक्षा और नैतिक मूल्य प्रदान करना उनकी मंशा है। ये पूछे जाने पर कि क्या भगवद गीता बच्चों में नैतिक मूल्य लाएगी, मुख्यमंत्री ने पूछा, “और क्या? … आप मुझे बताएं, भगवद गीता नहीं तो और क्या नैतिक मूल्य देंगे?”
सिद्धरमैया ने कहा- हमें कोई आपत्ति नहीं
इस बहस के बीच, मंगलुरु में विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने कहा कि कांग्रेस भगवद गीता या किसी अन्य धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से बच्चों को नैतिक शिक्षा देने का विरोध नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा, “हम संविधान और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करते हैं। उन्हें (भाजपा सरकार) भगवद गीता या कुरान या बाइबिल सिखाने दें, हमें कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते वे बच्चों को आज की आवश्यकताओं के अनुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दें।”
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सिद्धारमैया ने कहा कि भगवद गीता, रामायण और महाभारत हर हिंदू घर में पढ़ाया जाता है और इन पुस्तकों पर आधारित नाटक भी आयोजित किए जाते हैं। नैतिक शिक्षा की जरूरत है, लेकिन संविधान के खिलाफ कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए। सिद्धारमैया ने आगे कहा, “हम एक बहु-सांस्कृतिक समाज और एक विविध देश हैं और हम सभी को सहिष्णुता के साथ रहना चाहिए।”
कांग्रेस नेता ने कहा- इसमें BJP का स्वार्थ है
वहीं कर्नाटक कांग्रेस के नेता रहमान खान ने कहा कि कर्नाटक शिक्षा मंत्री ने गुजरात की तर्ज पर कहा है कि वे भगवद गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने जा रहे हैं.।अगर वे कोई धार्मिक ग्रंथ पढ़ाने की सलाह देते हैं तो कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन भारत कई धर्मों वाला देश है। हर धार्मिक पुस्तक धर्म सिखाती है, आप यह नहीं कह सकते कि यह केवल गीता है जो धर्म और भारतीय संस्कृति सिखाती है। सभी धार्मिक पुस्तकों को छात्रों को पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसमें भाजपा का स्वार्थ है। नई शिक्षा नीति के जरिए हिंदुत्व नीति को पाठ्यक्रम में लाने की कोशिश है और कुछ नहीं।