न्यूज डेस्क
फिलहाल अब 126 करोड़ रुपये के यमुना एक्सप्रेसवे के घोटाले मामले की जांच सीबीआई करेगी। यमुना एक्सप्रेस-वे के लिए मथुरा में जमीन खरीदने में घोटाला किया गया था। अब कयास लगाया जा रहा है कि इस घोटाले की जांच की आंच प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव तक पहुंच सकती है।
165 किलोमीटर लंबे यमुना एक्सप्रेसवे के निर्माण की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के शासनकाल में 2009 में शुरु हुआ था लेकिन इसका उद्घाटन सपा के शासनकाल में हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वर्ष 2012 में इसका उद्घाटन किया था। यमुना एक्सप्रेस-वे निर्माण में हुए घोटाले के मामले में कार्रवाई बीजेपी के सत्ता में आने के बाद हुआ। यूपी सरकार ने एक्सप्रेस-वे कंपनी के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता व अन्य 19 लोगों के खिलाफ जून 2018 में एफआईआर दर्ज की थी। बाद में यूपी सरकार ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी।
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यूपी सरकार की तरफ से कराई गई विभागीय जांच में आरोप लगाया कि पीसी गुप्ता और यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के कुछ अधिकारियों ने मिलकर मथुरा में सात गांवों की 57.15 हेक्टेयर भूमि खरीदी थी। 85.49 करोड़ रुपये की इस भूमि खरीद में 19 कंपनियों की मदद ली गई थी।
आरोप है कि इस जमीन को कथित रूप से अथॉरिटी के अधिक मूल्य पर बेचा गया जिससे 126 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। ताज एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल अथॉरिटी जो बाद में यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी बन गया, के पास ही भूमि अधिग्रहण और एक्सप्रेसवे के साथ-साथ विकास के लिए मास्टर प्लान बनाने की जिम्मेदारी थी।
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