न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की प्रस्तावित महाविलय के बारे में आरबीआई सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि मुझे ऐसी कोई वजह नजर नहीं आती जिस कारण फैसला वापस लेनी पड़े या अधिसूचना जारी करने में किसी तरह की देरी हो रही है। आप सभी को उचित समय पर इस बारे में जानकारी मिलेगी।
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वित्तमंत्री ने आरबीआई सेंट्रल बोर्ड की बैठक के बाद आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान यह बात कही। पिछले साल अगस्त में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का आपस में विलय कर चार बड़े बैंक बनाने का निर्णय किया था।
इसके अंतगर्त यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को पंजाब नेशनल बैंक में मिलाया जाना है। इसके अलावा सिंडिकेट बैंक को कैनरा बैंक के साथ, इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक के साथ और आंध्रा बैंक एवं कॉरपोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ मिलाया जाना है।
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इससे पहले अप्रैल, 2019 में सरकार ने बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक व देना बैंक का विलय कर चुकी है। अप्रैल 2017 में भारतीय स्टेट बैंक में उसके पांच सहयोगी बैंक, जिसमें स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद और भारतीय महिला बैंक का विलय किया था।
किसानों की समस्या पर पूछे गए सवाल के जवाब में निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ग्रामीण इलाकों में बैंकों द्वारा दी जाने वाली कृषि लोन की मॉनिटरिंग कर रही है। उन्होंने कहा कि कृषिलोन की क्रेडिट लिमिट बढ़ाई गई है, जिसको लेकर आश्वस्त हूं कि ये निचले स्तर की जरूरतों के हिसाब से किया गया है।
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सीतारमण ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इससे मांग बढ़ेगी और कर्ज की जरूरतों की पूर्ति भी होगी। उन्होंने कहा कि बैंकों और उनके लोन वितरण के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज के वितरण पर नजर रखी जा रही है। हम आश्वस्थ हैं कि इसे करने में हम सफल होंगे।
सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी से जुड़ी योजना पीएम- किसान के लिए 75,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इसके अलावा 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि एवं संबंधित क्षेत्र के विभिन्न प्रोजेक्ट्स को लागू करने के लिए 1.6 लाख करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है।
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