न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के बाद से योगी सरकार ने कई जिलों और चौराहों के नाम में बदलाव किया है। सबसे ज्यादा चर्चा इलाहाबाद का नाम बदलने पर हुआ था। योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को सोमवार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह याचिका ‘इलाहाबाद हेरिटेज सोसायटी’ की ओर से दायर की गई है।
मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे और न्यायाधीश बी. आर गवई और न्यायाधीश सूर्यकांत की एक पीठ ने योगी सरकार को नोटिस जारी किया है। केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2019 को इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने की मंजूरी दी थी।
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उस समय योगी सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया था कि बोर्ड ने दस्तावेजों का शोध करने पर पाया कि भारत में कुल 14 प्रयाग थे लेकिन यहां जो प्रयाग था उसे प्रयागों के राजा के रूप में जाना जाता था। बाद में उसका नाम बदल कर इलाहाबाद कर दिया गया। इस बात का भ्रम है कि इस स्थान का नाम हमेशा से ही इलाहाबाद था।
बयान में आगे कहा गया था, इसलिए राजस्व बोर्ड ने सुझाव दिया था कि इस भ्रम को दूर करने के लिए, यह तर्कसंगत होगा कि इसका मौजूदा नाम को वास्तविक नाम से बदल दिया जाए।
सरकार ने जब इलाहाबाद का नाम बदला था तब सरकार के इस फैसले की विपक्षी दलों ने आलोचना की थी। इसे पहले कांग्रेस ने कहा था कि सरकार का यह कदम इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने जैसा होगा। वहीं समाजवादी पार्टी प्रमुख ने ट्वीट कर कहा था कि भाजपा सरकार नाम बदलकर दिखाना चाहती हैं कि वह काम कर रही है।
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