जुबिली न्यूज डेस्क
चूंकि उत्तर प्रदेश राजनीति का केंद्र बिंदु है इसलिए यहां की हर राजनीतिक खबर पूरे देश में चर्चा में आ जाता है। पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चर्चा में है।
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली से लेकर राजधानी लखनऊ में भाजपा नेताओं के साथ-साथ आरएसएस के बीच बैठकों का दौर जारी है। इन बैठकों के चलते पार्टी के संगठन से लेकर सरकार तक में फेरबदल के कयास लगाए जा रहे हैं।
लेकिन भाजपा केंद्रीय नेताओं के साथ-साथ प्रदेश नेतृत्व के द्वारा ‘ऑल इज वेल’ बताया जा रहा है। इसके बाद भी सूबे के सियासी माहौल को लेकर न तो मंथन थम रहा है और न ही चर्चाएं।
इस समय सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि कई राज्यों में ऐसा ही माहौल है। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों का समय ठीक नहीं चल रहा है।
पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ कांग्रेस में भारी बगावत चल रही है। पूर्व क्रिकेटर सिद्धू अब फाइनल बैटिंग करने का मन बना लिए है और पार्टी हाई कमान संतुष्ट और असंतुष्ट गुट से मिलकर समझौते का फॉर्मूला निकल रही है।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि सिद्धू डिप्टी सीएम बन सकते है और कुछ दलित नेताओं को भी महत्वपूर्ण पद मिल सकता है।
कर्नाटक में भी सियासी सरगर्मी बढ़ी हुई है। राज्य में मुख्यमंत्री येदुरप्पा के खिलाफ बगावत के सुर उठ रहे है। CM येदुरप्पा ने तो यह तक कह दिया है कि यदि पार्टी हाई कमान कहेगा तो वो सीएम पद छोडऩे में एक मिनट की भी देरी नहीं करेंगे।
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अब छत्तीसगढ़ चलते हैं। यहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को समझौते के अनुसार 15 जून तक पद छोडऩे का दबाव बन रहा है, तो वहीं राजस्थान में पिछले कुछ महीनों से शांत बैठे कांग्रेस नेता सचिन पायलट का खेमा भी उपेक्षा से त्रस्त सीएम अशोक गहलोत को हटाने के लिये कमर कस लिया है।
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बगल के राज्य मध्य प्रदेश की भी बात कर लेते हैं। वैसे तो यहां अभी सब ठीक दिख रहा है लेकिन बंगाल से थक हार कर लौटे कैलाश विजयवर्गीय की गृहमंत्री पुरषोत्तम मिश्र के साथ बंद कमरें में हुई बैठक के बाद सुगबुगाहट शुरु हो गई है। कहा जा रहा है कि कैलाश विजयवर्गीय मामा को चैन से नही बैठने देगे।
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एक ओर जून की गर्मी से लोग परेशान है तो वहीं एक साथ देश के इतने राज्यों में मची राजनीतिक सरगर्मी से पारा और बढ़ गया है।
फिलहाल अब देखना दिलचस्प होगा कि इन राज्यों में फेरबदल होता है या फिर सब सियासी स्टंट ही रहता है।