जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार में विधानसभा चुनावों के नतीजे कल यानी मंगलवार को आ जायेंगे। जहां तमाम एग्जिट पोल ने अपने नतीजों में महागठबंधन को बढ़त दिखाया है तो राजनैतिक पंडितों ने भी महागठबंधन की सरकार बनने का अनुमान लगाया है।
यदि एग्जिट पोल के नतीजों और राजनैतिक पंडितों की बात पर विश्वास करें तो बिहार में तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनना तय है। तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
दरअसल तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने को लेकर जो भविष्यवाणी की जा रही है वह ऐसे ही नहीं है। बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव के पक्ष में जो माहौल दिखा उस आधार पर अनुमान जताया जा रहा है।
चुनाव तिथि घोषित होने तक तेजस्वी यादव, एनडीए के आस-पास भी नहीं दिख रहे थे। तेजस्वी के लिए यह लड़ाई आसान नहीं थी। चुनावी मैदान में उनका मुुकाबला राजनीतिक के मझे खिलाड़ी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ बीजेपी की भारी-भरकम फौज के साथ थी।
नीतीश के साथ जहां उनका कामकाज के साथ पीएम मोदी और केंद्र सरकार का कामकाज था जो तेजस्वी के साथ लालू यादव का 15 साल का कार्यकाल जिसे विपक्ष जंगलराज कहती है, टैग था।
लेकिन तेजस्वी यादव बिना घबराए बड़ी ही खूबसूरती से मोदी बीजेपी के ही हथियार का इस्तेमाल कर पाशा पलट दिया। 2014 के चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने नारा दिया था कि अच्छे दिन आने वाले हैं।
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चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने कहा था कि वह सत्ता में आते हैं तो एक साल के भीतर दो करोड़ लोगों को रोजगार दिया जायेगा। 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी ने विकास, महंगाई, रोजगार जैसे मुद्दों को उठाया था और इस चुनाव में तेजस्वी ने भी इन्हीं मुद्दों को उठाकर एनडीए की मुश्किलें बढ़ा दिया।
तेजस्वी ने रोजगार का मुद्दा उठाकर यूथ को अपने साथ ले आए। जैसे मोदी कहते थे कि अच्छे दिन आने वाले हैं। सबकी तकलीफ दूर होने वाली हैं, वैसे ही अपने जनसभाओं में तेजस्वी ने कहा कि बेटे को नौकरी मिलेगी तो घर में खुशहाली आयेगी। बेटा कमायेगा तभी मां-बाप को तीर्थ यात्रा करायेगा।
लालू यादव के गैरमौजूदगी में चुनाव लड़ रहे 31 साल के तेजस्वी को नीतीश कुमार और बीजेपी ने हल्के में लिया। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि वह अपने पिता के माई समीकरण के इतर कमाई, सिचाई, पढ़ाई और स्वास्थ्य की बात करेंगे।
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बिहार की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार कुमार भवेश चंद्र भी इससे इत्तेफाक रखते हैं। वह कहते हैं कि बिहार में तेजस्वी की ताजपोशी तय है। बिहार में तेजस्वी की रैलियों में उमडऩे वाला जनसैलाब और जो राजनीतिक परिस्थितियां है उसके आधार पर मेरा केलकुलेशन है कि राजद की सीटें बढऩे वाली है। पिछले चुनाव में राजद ने 101 सीट पर चुनाव लड़ा और 80 सीटें जीती। इस बार वह 141 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
वह कहते हैं कि इस चुनाव में तेजस्वी ने काफी संख्या में बाहुबलियों को टिकट दिया है। ये सभी चुनाव जीतने वाले हैं। इसलिए आरजेडी की सीटें बढऩी तय है। दूसरा सत्ता में आने का दूसरा बड़ा कारण कांग्रेस है। पिछले चुनाव में कांग्रेस 41 सीटों पर लड़ी थी और 27 पर जीत हासिल की थी। इस बार वह 70 सीटों पर लड़ रही है। गलत टिकट दिए गए हैं बावजूद कई सीटों पर कांग्रेस की स्थिति अच्छी दिख रही है। कांग्रेस की सीटे बढ़ती है तो आप इससे समझ सकते हैं कि आरजेडी 90 सीटें भी जीत जाती है तो वह बहुमत के करीब पहुंच जायेगी। सरकार बनाने के लिए 122 का आंकड़ा चाहिए।
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वरिष्ठ पत्रकार कुमार भवेश चंद्र कहते हैं कि इस बार लेफ्ट की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। लेफ्ट पार्टियां महागठबंधन का हिस्सा हैं और उनके समर्थित वोटर नीतीश को सत्ता से बाहर करने के लिए आरजेडी को सपोर्ट कर रहे हैं। दूसरा आरजेडी के अपने वोटरों का तो साथ मिला ही है साथ में मुुसलमानों का भी साथ मिला है। कुल मिलाकर महागठबंधन बिहार में सरकार बनाने जा रही है।
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