न्यूज डेस्क
सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों द्वारा फाइल दबाकर बैठे रहना बहुत पुरानी समस्या है। अधिकारी न खुद कोई फैसला लेते हैं और न दूसरों को करने देते हैं। इनके चक्कर में फाइलें महीनों तक इनकी मेज पर धूल फांकती रहती है। फिलहाल केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अपने मंत्रालय में काम करने वाले और उसमें बाधक बने अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने की चेतावनी दी है।
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि लाल फीताशाही हर्गिज बर्दाश्त नहीं की जायेगी। ऐसे अधिकारी जो फाइलें दबाकर बैठे रहते और खुद तो कोई फैसला करते नहीं और न ही दूसरों को करने देते, ऐसे सभी को बाहर किया जायेगा।
गडकरी ने यह बातें सोमवार को दिल्ली में सड़क सुरक्षा से जुड़े संगठनों की बैठक में कहा। उन्होंने कहा कि धैर्य की सीमा होती है। ऐसे अधिकारी जो समय पर निर्णय न कर सड़क सुरक्षा से समझौता करते हैं या जो विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में गड़बड़ी या गलत सड़क इंजीनियरिंग के लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हमारा देश ऐसा है जहां आतंकवाद या नस्लवाद की वारदात से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं। उन्होंने इस परिदृश्य को ‘दुर्भाग्यूपर्ण और दर्दनाक’ करार दिया।
गडकरी ने कहा कि दुर्घटनाओं को रोकने के तमाम प्रयासों के बावजूद भारत इस मामले में दुनिया में पहले नंबर पर है। यहां सड़क हादसों में मारे जाने वाले व्यक्तियों में 65 प्रतिशत 18 से 35 साल के बीच के होते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार में काम न करने वाले, बेकार पड़े निखट्टू अधिकारियों को बारह किया जाएगा। इसमें किसी तरह की हिचकिचाहट नहीं होगी।
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