जुबिली न्यूज डेस्क
राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को वोटिंग होनी है। राजस्थान में सरकार कायम रखने की बात तो लोग कर रहे हैं लेकिन बदलाव की कोई लहर नहीं दिख रही है। न ही किसी भी पार्टी की हवा है। लोग अपने विधायकों से तो खफा हैं, मगर मौजूदा CM अशोक गहलोत के खिलाफ नाराजगी नहीं दिखती। हालत यह है कि राजस्थान में कई विधायकों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी साफ दिखती है, जिसमें कांग्रेस ही नहीं, बीजेपी के विधायक भी शामिल हैं। लेकिन, जिन इलाकों में भी लोग विधायकों से नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, वे यह भी खुलकर कह रहे हैं कि हमें CM से दिक्कत नहीं है।
विधायकों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी
राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को वोटिंग होनी है। प्रदेश में किसी पार्टी की हवा नहीं दिखती। हर जगह BJP और कांग्रेस, दोनों के कट्टर समर्थक से लेकर उनकी स्कीमों के प्रशंसक मिल रहे हैं। कुछ विकास के नाम पर वोट देने की बात कहते हुए साफ-साफ कुछ कहने से बच रहे हैं। कुछ स्पष्ट बोल रहे हैं कि रिवाज बदलेगा और कांग्रेस की सरकार फिर आएगी तो बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें लगता है कि रिवाज कायम रहेगा और BJP सरकार बनाएगी।
यहां एंटी इनकंबेंसी तो दिखती है, लेकिन विधायकों के खिलाफ। कांग्रेस ने अपने 100 में से 17 विधायकों का टिकट काटा है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान तो कम से कम 50 विधायकों के टिकट काटना चाहता था लेकिन अशोक गहलोत ने उनकी नहीं सुनी। BJP और कांग्रेस, दोनों ही पार्टी के करीब 30-30 बागी भी चुनाव मैदान में हैं। हालांकि कांग्रेस के बागी उतने मजबूत नहीं दिखते जितने बीजेपी के हैं।
किसानों के बीच बिजली बड़ा मुद्दा
राज्य में किसानों के बीच बिजली एक बड़ा मुद्दा है। किसान कहते हैं कि कर्ज माफी का कुछ फायदा उन्हें जरूर मिला है लेकिन दिन के समय बिजली न आने से बड़ी दिक्कत है। अभी सिर्फ रात के वक्त बिजली आती है। ऐसे में खेतों में रात में ही पानी देना पड़ता है। ठंड के मौसम में यह दिक्कत और बढ़ जाएगी। धौलपुर से लेकर सवाई माधोपुर तक, सब जगह किसानों ने दिन के वक्त बिजली की मांग की।बीजेपी समर्थक किसान खुलकर सत्ता बदलने का दावा कर रहे हैं। युवाओं के बीच रोजगार बड़ा मुद्दा है। साथ ही पेपर लीक की भी हर युवा बात कर रहा है।
घोषणापत्र पर कोई बात नहीं
बीजेपी, राज्य में कानून-व्यवस्था को मुद्दा बना रही है और आरोप लगा रही है कि कांग्रेस के शासन में कानून व्यवस्था की हालत बहुत खराब हुई है। हालांकि चुनावी मुद्दों के रूप में आम लोग कानून-व्यवस्था का नाम नहीं लेते। कांग्रेस और बीजेपी दोनों अपने घोषणापत्रों का ऐलान कर चुकी हैं और कई वादे भी किए हैं लेकिन इसे लेकर लोगों में कोई खास दिलचस्पी नजर नहीं आती।
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राजस्थान में जाति बड़ा मुद्दा
यहां हर सीट पर वोटर जातीय समीकरण गिना रहे हैं। कहीं जाट-राजपूत की संख्या के हिसाब से जीत-हार का अनुमान लगाया जा रहा है तो कहीं गुर्जर-मीणा की संख्या के लिहाज से। राजस्थान में जाति बड़ा मुद्दा है। अगर पिछले 30 साल के आंकड़ें देखें तो साफ है कि यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों का अपना करीब 33 पर्सेंट वोट बैंक तो है ही, जो किसी भी सूरत में पार्टी का साथ देता है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 100 सीटें जीतीं और 39.30 पर्सेंट वोट मिले। कुछ पर्सेंट वोट ही राजस्थान में किसी का खेल बना सकते हैं, तो किसी का बिगाड़ सकते हैं।