न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। दुनियाभर में मशहूर चिकन का कारोबार आज इतनी बेहाल हालत में आ चुका है कि अब जरदोजी कारीगरों की आंखों से आंशू तक निकलने लगे है। लॉकडाउन के चलते करोड़ों का नुकसान तो पहले ही कारोबारियों को बेबस कर चुका है।
इस महामारी से जूझ रहे कपड़ों की बुनाई करने वाले मोहम्मद रशीद लॉकडाउन की वजह से आई मुश्किलों से टूट गए हैं। उनका कहना है कि न तो पैसा है, न तो खाना और न ही कोई काम।
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लॉकडाउन से पहले दिलशाद की दिनचर्या बहुत व्यस्त थी। पहले वह बड़े शहरों में अपना बनाया हुआ सामान आसानी से बेच लिया करता थे और फिर अपने घर लौटते ही कपड़े की बुनाई में जुट जाते थे। उन्होंने कहा कि जिंदगी एक ढर्रे पर चल रही थी। बहुत समृद्धि नहीं थी, लेकिन आरामदेह थी। अब यह दूर की कौड़ी लगती है।
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कपड़ों की बुनाई करने वाले परिवार की चौथी पीढ़ी से ताल्लुक रखने वाले रशीद ने कहा कि इस मुश्किल समय में मदद न के बराबर मिल रही है, यहां तक दो वक्त के भोजन की व्यवस्था करनी भी मुश्किल हो रही है।
उन्होंने बताया हम नहीं समझे थे कि लॉकडाउन का मतलब कोई आवजाही नहीं, कोई काम नहीं और कोई पैसा नहीं होगा। सरकार ने राशन दिया लेकिन केवल चावल, कैसे कोई केवल चावल खा कर रह सकता है?
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रशीद कहते हैं पहला हफ्ता बहुत मुश्किल नहीं था। हमारे घर पर कच्चा माल था और हमने काम जारी रखा था। समस्या गंभीर तब हुई जब कच्चा माल खत्म हो गया। काम ठप हो गया और आमदनी बंद हो गई।
तीन बच्चों के पिता 36 वर्षीय रशीद अपने भाई और परिवार के साथ रहते हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की शुरुआत में एक गैर सरकारी संगठन ने कुछ पैसों की मदद की। अब वह भी खत्म हो रहा है। हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि राशन नहीं है, दो वक्त की रोटी की मुश्किल है।
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