न्यूज डेस्क
कोड़े मारने की सजा देने के लिए मशहूर सऊदी अरब में फिलहाल अब ये सजा नहीं दी जायेगी। यह बात एक एक लीगल डॉक्युमेंट के आधार पर कही जा रही है।
सऊदी अरब के सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इसके बदले या तो जेल की सजा दी जाएगी या फिर उसे जुर्माना भरना होगा।
सऊदी अरब के कानून को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से आरोप लगाते रहे हैं कि यह देश उन सबसे बुरे देशों में से एक है जहां मानवाधिकारों का सबसे अधिक उल्लंघन होता है। सऊदी में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर तौर पर प्रतिबंध है और जहां शासन के खिलाफ बोलने वालों को कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश को सऊदी किंग सलमान, उनके बेटे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के मानवाधिकार सुधारों को और विस्तार देने की कड़ी के तौर पर देखा जा रहा है।
हाल के साल में सऊदी अरब की वहां के कुछ कानूनों को लेकर सऊदी पत्रकार जमाल खाशोज्जी की हत्या को लेकर काफी आलोचना होती रही है।
आखिरी बार सऊदी अरब में कोड़े मारने की सजा तब सुर्खियों में आई थी जब साल 2015 में ब्लॉगर रैफ बादावी को सार्वजनिक तौर पर कोड़े मारे गए थे। उन पर साइबर क्राइम का आरोप था और साथ ही इस्लाम का अपमान करने का भी।
जून 2012 में बदावी को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 10 साल कैद और 1000 कोड़े मारे जाने की सजा दी गई थी। दरअसल बदावी पर अपनी वेबसाइट ”सऊदी लिबरल नेटवर्क” पर इस्लाम का अपमान करने, साइबर अपराध और अपने पिता की अवहेलना करने के आरोप थे।
फिलहाल रैफ बादावी यह वेबसाइट अब बंद कर दी गई है।
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बदावी की सजा की अमरीका और दुनिया के मानवाधिकार संस्थाओं ने निंदा की थी। इससे सऊदी अरब की छवि खराब हुई थी।
अब, इस निर्देश के बाद ऐसा लग रहा है कि कोड़े मारने की सजा हमेशा के लिए बंद हो गई है, लेकिन किंग और क्राउन प्रिंस के प्रति असंतुष्टि दिखाने वालों की लगातार हो रही गिरफ्तारियां इस निर्देश को लेकर संदेह जरूर पैदा करती हैं। इनमें महिला कार्यकर्ताएं भी शामिल हैं।
इससे पहले 24 अप्रैल को सऊदी अरब के सबसे नामचीन मानवाधिकार कार्यकर्ता की जेल में दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गई। इसे लेकर दूसरे कार्यकर्ताओं का आरोप है कि उनके स्वास्थ्य की अनदेखी की गई जिसकी वजह से उनकी मौत हुई।
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