धीरेन्द्र अस्थाना
लखनऊ। saubhagya.gov.in के अनुसार उत्तर प्रदेश का हर घर बिजली से रौशन हो चुका है, लेकिन असलियत में ऐसा नहीं है। ऐसा ही एक बेहद चौकाने वाला खुलासा हुआ है कि उत्तर प्रदेश के कई स्कूलों में बिजली नहीं पहुंची है।
उत्तर प्रदेश सरकार से लेकर केन्द्र सरकार बिजली को लेकर हमेशा बड़े-बड़े दावे करती रही है। मोदी हो या योगी, सार्वजनिक मंच से ये बिजली पर किए गए कामकाज को अक्सर गिनाते रहते हैं। उनकी भी गलती नहीं है। दरअसल केन्द्र सरकार की योजनाओं की वेबसाइट और कागजों में उत्तर प्रदेश का हर घर बिजली से रौशन हो चुका है लेकिन असलियत इससे विपरीत है। कुछ दिनों पहले मतदान केन्द्र बनाये जाने को लेकर किए गए सर्वें में भी इसका खुलासा हुआ कि प्रदेश के 55 हजार स्कूलों में अब तक बिजली का तार नहीं पहुंचा हैं। कही आस-पास पोल तार है तो स्कूलों में बिजली का कनेक्शन नहीं हैं।
कैसे हुआ खुलासा
जुबिली पोस्ट टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाला सच सामने आया है। लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए जब अधिकारी मतदान स्थल का सर्वे करने निकले तो पता चला कि हजारों स्कूलों में कनेक्शन नहीं है। पोलिंग बूथ की तैयारियों में ही यह पोल खुली है कि प्रदेश के 55 हजार प्राइमरी- जूनियर स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है। जब ये बात बैठक में उठी तो अधिकारियों के होश उड़ गये। अब यहां कनेक्शन के निर्देश शासन ने दिए हैं। इसके अलावा प्रदेश के तमाम पब्लिक प्लेस बिजली की पहुंच से दूर हैं।
अधिकारियों ने सूची तैयार करने का दिया निर्देश
जब ये बात शासन के आलाधिकारियों तक पहुंची तो प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि जिन विद्यालयों के भवनों में बिजली कनेक्शन नहीं है, उनकी सूची तैयार कर ली जाए। वह सूची विद्युत वितरण निगमों के नोडल अधीक्षण अभियंताओं को दे दें। बेसिक शिक्षा विभाग धनराशि उपलब्ध करा दे, जिसके बाद प्राथमिकता से सभी विद्यालयों में अभियान चलाकर कनेक्शन करा दें।
वहीं उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि शिक्षा विभाग छात्रों को मूलभूत सुविधाएं देने की बड़ी- बड़ी बातें ही करता रहा है लेकिन स्थिति सामने है कि लाखों बच्चे बिना लाइट व पंखों के पढ़ाई कर रहे हैं और इनकी सुध लेने वाले अब इनके द्वार पर जाकर वोट किस मुंह से मागेंगे।
क्या है सौभाग्य योजना
जिन लोगों का नाम साल 2011 की सामाजिक- आर्थिक जनगणना में हैं, उन्हें इस योजना के तहत मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया जाता है। जिन लोगों का नाम सामाजिक- आर्थिक जनगणना में नहीं है, उन्हें बिजली का कनेक्शन सिर्फ 500 रुपये के शुल्क पर मिल सकता है। ऐसे लोग यह 500रुपये भी दस आसान किस्तों में चुका सकते हैं। इस योजना के तहत सरकार हर घर को एक सोलर पैक देगी, जिसमें पांच एलईडी बल्ब और एक पंखा होगा। बिजली से वंचित देश के चार करोड़ घर के हिसाब से सरकार ने इस योजना के लिए 16 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा है।
योजना का नाम- प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना
किसके द्वारा घोषित की गयी- केंद्रीय सरकार
लांच कब हुई- 25 सितंबर 2017
योजना की अवधि- 31 मार्च 2019
योजना के बजट पर वार
सौभाग्य योजना के लिए सरकार ने 16,320 करोड़ रुपये का कुल बजट रहा है। सरकार ने सौभाग्य योजना में 12,320 करोड़ रुपये की सरकारी सहायता का भी प्रावधान किया है, जबकि योजना के तहत बजट में सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 14,025 करोड़ रुपये का आवंटन इसलिए किया गया था, ताकि वहां बिजली की दिक्कतें न हो, लेकिन हुआ इसका उल्ट।
जिन विद्यालयों का कनेक्शन बिल बकाया की वजह से काटा गया है, वहां ग्राम पंचायतें जिम्मेदारी निभाएं। ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित परिषदीय प्राथमिक एवं प्राथमिक विद्यालयों में बिजली बिल का भुगतान इस निधि से किया जा सकता है।
आलोक कुमार, प्रमुख सचिव, ऊर्जा