जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनावी समर चल रहा है. दो चरणों का मतदान सम्पन्न हो चुका है जबकि पांच चरणों का मतदान बाकी है. उत्तर प्रदेश इलेक्शन वाच और एसोसियेशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (ADR) नामांकन के दाखिलों के साथ-साथ उनका विश्लेषण भी करता जा रहा है ताकि मतदाताओं को उम्मीदवारों की हकीकत से परिचित करवाया जा सके.
चौथे चरण की 59 सीटों पर अपना भाग्य आजमाने के लिए विभिन्न दलों से 624 प्रत्याशी मैदान में हैं. इनमें से 621 प्रत्याशियों के शपथपत्रों का विश्लेषण किया गया तो कोई भी राजनीतिक दल दूध का धुला नज़र नहीं आया. सभी राजनीतिक दलों ने आपराधिक मुकदमों से जूझ रहे लोगों पर साफ़-सुथरी छवि वालों से ज्यादा भरोसा किया है.
शपथपत्र में उम्मीदवार को क्योंकि खुद ही अपने आपराधिक मामले घोषित करने की बाध्यता है इसलिए यह बताना उनकी मजबूरी है. विभिन्न दलों के 621 उम्मीदवारों में से 167 यानि 27 फीसदी उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं गंभीर आपराधिक मामलों की बात करें तो इनकी संख्या 129 यानि 21 फीसदी है.
माननीय बनने की कतार में खड़े होकर खुद के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का खुलासा करने वालों की दलवार बात करें तो कांग्रेस ने 58 में से 31 ऐसे उम्मीदवारों पर भरोसा किया जिन पर आपराधिक मामले चल रहे हैं. वहीं समाजवादी पार्टी के 57 में से 30 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मुक़दमे चल रहे हैं. यानि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ने अपने लिए ऐसे उम्मीदवारों पर भरोसा किया जिनमें से 53 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे हैं.
बहुजन समाज पार्टी के 59 उम्मीदवारों में से 26 के खिलाफ आपराधिक मुक़दमे हैं. मतलब बसपा के 44 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे हैं. भारतीय जनता पार्टी इस समय उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ है. बीजेपी का दावा है कि उसकी सरकार में अपराधी प्रदेश छोड़कर जा चुके हैं. दूरबीन से भी कोई बाहुबली नहीं दिखता है मगर उसके 57 उम्मीद्वारों में से 23 के खिलाफ आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं. बीजेपी के 40 फीसदी उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे हैं.
राजनीति में कुछ साल पहले ही इंट्री लेने वाली आम आदमी पार्टी की बात करें तो उसने 45 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं लेकिन इनमें भी 11 के खिलाफ आपराधिक मुकदमे हैं. मतलब साफ़ है कि दूध का धुला कोई राजनीतिक दल नहीं. आम आदमी पार्टी ने भी 24 फीसदी आपराधिक मुकदमों से जूझ रहे उम्मीदवारों पर ही भरोसा किया.
गंभीर आपराधिक मुकदमों की बात करें तो कांग्रेस के 38 फीसदी, समाजवादी पार्टी के 39 फीसदी, बीएसपी के 37 फीसदी, बीजेपी के 30 फीसदी और आम आदमी पार्टी के 20 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ अपराधिक मुकदमे दर्ज हैं.
उम्मीदवारों ने अपने शपथपत्रों में अपने मुकदमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. नौ उम्मीदवारों के खिलाफ महिलाओं पर अत्याचार से सम्बंधित मामले दर्ज हैं. दो उम्मीदवारों के खिलाफ तो बलात्कार के मुक़दमे भी हैं. पांच उम्मीदवारों पर हत्या और 14 उम्मीदवारों पर हत्या के प्रयास के मुकदमे दर्ज हैं.
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