जुबिली स्पेशल डेस्क
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में तैरती लाशों के कारण योगी सरकार की काफी आलोचना हुई थी, मगर सरकार इससे बार-बार इनकार करती रही है लेकिन अब मोदी सरकार ने संसद में इसपर जवाब दिया है।
गंगा में कितनी लाशें फेंकी गईं? इसपर मोदी सरकार के पास कोई जानकारी नहीं है। मोदी सरकार के ये कबूलमाना तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन के एक सवाल के जवाब में आया।
जूनियर जल शक्ति मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने सोमवार को राज्य सभा में इसपर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि गंगा नदी में फेंके गए अनुमानित कोविड-19 से संबंधित शवों की संख्या के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है।
उन्होंने कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार शवों को निपटाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी मांगी थी। सवालों के जवाब में मंत्री ने कहा कि लावारिस/अज्ञात, जले हुए/आंशिक रूप से जले हुए शव नदी या उसके किनारे पाए गए थे, और ये घटनाएं उत्तर प्रदेश और बिहार के जिलों से सामने आई थीं।
उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय ने (स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन के माध्यम से) संबंधित राज्य सरकारों से शवों और निपटान सहित की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट मांगी थी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उत्तराखंड, झारखंड और बंगाल के मुख्य सचिवों को भी एडवाइजरी जारी की गई।
बता दें कि पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर काफी खतरनाक रही है। आलम तो यह था कि कोरोना काल में लगातार लोगों की मौत हो रही थी। इस वजह से अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट में लम्बी-लम्बी लाइने देखने को भी खूब मिल थी।
वहीं दूसरी ओर बक्सर में एक बेहद शर्मशार घटना तब देखने को मिली जब चौसा के महदेवा घाट पर लाशों का अम्बार लगा हुआ देखने को मिला था हालांकि जिम्मेदार लोग इससे पल्ला झाड़ते नजर आ रहे थे। इतना ही नहीं पिछले साल मई-जून में पवित्र गंगा में तैरते हुए शवों की भयावह तस्वीरें पूरे देश ने देखी है। हालांकि सरकार इसपर पर्दे डालने की भी कोशिश करती रही है।