Thursday - 7 November 2024 - 1:19 AM

कैब के समर्थन के बाद एनआरसी पर पलटे नीतीश

न्यूज डेस्क

जेडीयू ने राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण (एनआरसी) पर भाजपा को झटका दिया है। भाजपा की सहयोगी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने संसद में नागरिकता संशोधन अधिनियम (कैब) पर सरकार का साथ दिया था लेकिन एनआरसी पर आधिकारिक तौर पर समर्थन से मना कर दिया है। जदयू भाजपा की पहली सहयोगी पार्टी है जिसने खुलेतौर पर एनआरसी का विरोध किया है।

जनता दल (यूनाइटेड) के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने 14 दिसंबर को कहा कि उनकी पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार केंद्र सरकार द्वारा देशभर में लागू किए जाने वाले राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण (एनआरसी) के खिलाफ है।

शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ प्रशांत किशोर की दो घंटे बैठक हुई। बैठक खत्म होने के बाद उन्होंने कहा, ‘नीतीश कुमार पार्टी के पहले वाले रुख के साथ हैं कि वह एनआरसी का समर्थन नहीं करेंगे। एनआरसी और कैब खतरनाक हैं। यदि एनआरसी नहीं है तो कैब ठीक है।

किशोर ने कहा कि मुख्यमंत्री का कहना है कि कैब नागरिकता देने के लिए है लेकिन यदि इसे एनआरसी से जोड़ा जाएगा तो यह भेदभावपूर्ण बन जाएगा।’ गौरतलब है कि प्रशांत किशोर लगातार अपने ट्वीट के जरिए कैब और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं।

नीतीश और प्रशांत किशोर की मुलाकात के बाद जदयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने इसकी पुष्टि की, कि जदयू एनआरसी पर सरकार को समर्थन नहीं करेगी। त्यागी ने कहा, पूरी पार्टी एनआरसी को समर्थन न करने के नीतीश कुमार के फैसले के साथ है।

हम पहले भी बहुत कुछ कह चुके हैं लेकिन कैब पर हमारे समर्थन से गलतफहमी की स्थिति पैदा हो गई थी। नीतीश और किशोर की मुलाकात के बाद पार्टी का एनआरसी पर रुख साफ हो गया है।

मालूम हो कि एनआरसी को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार कह रही हैं कि वह अपने राज्य में इसे लागू नहीं होने देंगी। वहीं कैब को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इसे संविधान विरोधी कानून बताया था। उन्होंने कहा था कि केरल में इसका कोई स्थान नहीं है। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि उनकी सरकार राज्य में इसे लागू नहीं होने देगी।

वहीं कैब पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कहना है कि कैब को लेकर उनके निजी रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने 13 दिसंबर को ट्वीट कर लिखा था, ‘संसद में बहुमत कायम रहा। अब न्यायपालिका से परे, भारत की आत्मा को बचाने का काम 16 गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों पर है क्योंकि यह ऐसे राज्य हैं जिन्हें इन कार्यों का संचालन करना है।’

प्रशांत किशोर ने यह भी कहा था कि वह बहुत निराश हैं कि जदयू जिसके संविधान के पहले पन्ने पर तीन बार धर्मनिरपेक्षता का शब्द है और जिसका नेतृत्व गांधीवादी विचारधारा करती है वह कैब का समर्थन कर रही है।

मालूम हो कि शनिवार को किशोर ने अपना इस्तीफा देने की पेशकश की थी,क्योंकि जदयू के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह उन्हें निशाना बना रहे थे। उन्हें नीतीश ने पार्टी के लिए कार्य करने की सलाह दी। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद किशोर ने सिंह के साथ अपने मतभेदों को दूर कर दिया।

नीतीश ने पीएम के कार्यक्रम से बनाई दूरी

जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम से दूरी बना ली। 14 दिसंबर को कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में उनको पहुंचना था। उनके स्वागत के पोस्टर तक लग चुके थे, लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया। उनके स्थान पर राज्य के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शिरकत की। यह कार्यक्रम नमामि गंगे के बड़ी परियोजना और समीक्षा को लेकर कानपुर में आयोजित किया गया था।

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