न्यूज डेस्क
बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) यानी चमकी बुखार से मासूम बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। बुखार से मरने वालों की संख्या बढ़कर 107 हो गई है, वहीं अस्पतालों में भर्ती बीमार बच्चों की संख्या बढ़कर 414 हो गई है।
चमकी बुखार से पीड़ित ज्यादातर मरीज मुजफ्फरपुर के सरकारी श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (एसकेएमसीएच) और केजरीवाल अस्पताल में एडमिट हैं। अब तक एसकेएमसीएच में 88 और केजरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की मौत हो गई है।
Bihar Chief Minister Nitish Kumar arrives at SKMCH Hospital in Muzaffarpur, where 89 children have died due to Acute Encephalitis Syndrome (AES). pic.twitter.com/7HJ8sLoahl
— ANI (@ANI) June 18, 2019
इस बीच चमकी बुखार पर मचे सियासी बवाल के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज मुजफ्फरपुर अस्पताल के दौर पर हैं। इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के खिलाफ बीमारी से पहले एक्शन नहीं लेने के आरोप में केस दर्ज हुआ है।
वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुजफ्फरपुर जिले में इंसेफेलाइटिस वायरस की वजह से बच्चों की मौत की बढ़ती संख्या पर सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और बिहार सरकार से रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक नोटिस जारी किया है।
बिहार में महामारी की तरह फैल रहे चमकी बुखार को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को उच्चस्तरीय बैठक की, जिसके बाद मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया, सरकार ने फैसला किया है कि उनकी टीम हर उस घर में जाएगी जिस घर में इस बीमारी से बच्चों की मौत हुई है, टीम बीमारी के बैक ग्राउंड को जानने की कोशिश करेगी, क्योंकि सरकार अब तक यह पता नहीं कर पाई है कि आखिर इस बीमारी की वजह क्या है। कई विशेषज्ञ इसकी वजह लीची वायरस बता रहे हैं, लेकिन कई ऐसे पीड़ित भी हैं, जिन्होंने लीची नहीं खाई।
नीतीश कुमार की बैठक में फैसला किया गया कि चमकी से प्रभावित बच्चों को निशुल्क एंबुलेंस मुहैया कराई जाएगी और पूरे इलाज का खर्च सरकार उठाएगी. वहीं इस बीमारी से मरने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा कि चमकी बुखार से बिहार के कुल 12 जिले के 222 प्रखंड प्रभावित हैं, लेकिन इनमें से 75 प्रतिशत केस मुजफ्फरपुर में हैं।
बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र सिंह कुशवाहा ने भी सोमवार को अस्पताल का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि 5 साल पहले भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने जांच का ऐलान और 100 बेड के सुपर स्पेशलिटी वाले यूनिट के निर्माण का ऐलान किया था। 2014 में 379 बच्चों की मौत हुई थी।