जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। बिहार में अब भी सियासी घमासान मचा हुआ है। नीतीश कुमार के पाला बदलने पर हर कोई हैरान है। नीतीश कुमार की पार्टी गठबंधन से अलग होने की वजह कांग्रेस को बता रही है।
उन्होंने लालू से रिश्ता खत्म कर दिया और फिर बीजेपी से दोबारा रिश्ता जोड़ नई सरकार बना ली है। नीतीश कुमार बिहार के 9वीं बार मुख्यमंत्री बने हैं।
उन्होंने 28 जनवरी को बीजेपी-जेडीयू के साथ मिलकर नई कैबिनेट बनाई है। अब सीएम को बहुमत भी साबित करना होगा। इसके लिए 10 फरवरी की तारीख तय की गई है।
अब देखना होगा कि नीतीश कुमार बहुमत साबित कर पाते या नहीं। हालांकि माना जा रहा है कि आसानी से वो बहुमत साबित कर देंगे।
महागठबंधन छोड़ बीजेपी में आने के बाद नीतीश कुमार ने चुप्पी तोड़ी है और कहा है कि वो विपक्षी गठबंधन के लिए किसी अन्य नाम की वकालत कर रहे थे लेकिन उन्होंने बिना कुछ सुने नाम तय कर लिया। नीतीश कुमार ने इस दौरान यह भी कहा कि विपक्षी गठबंधन अब तक एक भी फैसला नहीं कर पाया है।
नीतीश कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हम तो नाम भी कह रहे थे कोई दूसरा नाम उन लोगों को, तब तक कर दिया। हम बोल रहे थे कि ये नाम ठीक नहीं है, तब तक कर दिया। बाद में हालत देख ली, हमें रोकने की कितनी कोशिश कर रहे थे। एक काम नहीं किया, आज तक तय किया कि कौन पार्टी कितना लड़ेगी।”
बिहार के विकास को प्राथमिकता बताते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगे कहा कि हम भी छोड़ दिए, जिनके साथ पहले थे, उनके साथ आ गए… अब सब दिन इधर ही रहेंगे… बिहार के विकास के काम में लगे रहते हैं, लगे रहेंगे, सबके हित में।
बता दें कि बिहार की सियासत में नीतीश कुमार का कद भले ही बड़ा हो लेकिन पाला बदलने की वजह से उनकी इमेज खराब होती हुई नजर आ रही है। ममता से लेकर अखिलेश यादव ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
पिछले कई दिनों से चल रहा सियासी ड्रामा रविवार की सुबह नीतीश कुमार के इस्तीफे से खत्म हो गया है और उन्होंने इस्तीफा देते हुए लालू यादव से एक बार फिर अपना रिश्ता तोड़ लिया है और इसके साथ ही राज्य में 17 महीने पुरानी महागठबंधन सरकार का खत्म भी हो गया है।