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बिहार: डिप्टी सीएम पर सस्पेंस बरकरार, जाने कैबिनेट में किसका होगा दबदबा

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

बिहार में एनडीए के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में नीतीश कुमार को एक बार फिर से एनडीए विधायक दल का नेता चुना गया है। इस तरह से नीतीश कुमार सात वीं बार बिहार के सीएम बनेंगे। जबकि सुशील मोदी को विधानमंडल का नेता चुना गया है।

माना जा रहा है कि सुशील मोदी ही पहले की तरह इस बार भी नीतीश कुमार के साथ डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी संभालेंगे। हालांकि अभी इस बात पर सस्‍पेंस बना हुआ है कि सुशील मोदी डिप्‍टी सीएम बनेंगे या नहीं।

 

राजधानी पटना में रविवार को हुई एनडीए की अहम बैठक हुई जिसमें नीतीश कुमार को विधानमंडल दल का नेता चुन लिया गया। इस बैठक के बाद नीतीश कुमार एनडीए के अन्य घटक दलों के नेताओं के साथ राजभवन गएं, जहां राज्यपाल फागू चौहान के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया।

राजभवन से निकलने के बाद नीतीश कुमार ने मीडिया के साथ संक्षिप्त बातचीत में कहा कि हमने आज राज्यपाल को सरकार बनाने के लिए दावे का पत्र दे दिया है। कल यानी सोमवार, 16 नवंबर को शाम साढ़े चार बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा। सुशील कुमार मोदी के उप मुख्यमंत्री के बनने के सवाल को नीतीश कुमार टाल गए।

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इससे पहले भाजपा नेता तारकेश्वर प्रसाद एनडीए विधायक दल के उप नेता बनाए गए। सुशील कुमार मोदी ने एनडीए विधानमंडल दल की बैठक में ही इसका प्रस्ताव रखा। इनके उप नेता बनने से उप मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रबल संभावना तार किशोर प्रसाद की हो गई।

सूत्रों के अनुसार बैठक में सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 30 सालों में पार्टी ने हमें कई जिम्मेदारियां दी। विधायक दल के नेता, विरोधी दल के नेता से लेकर उप मुख्यमंत्री तक के पद पर रहा। मेरी इच्छा है कि पार्टी का ही कोई विधायक उप नेता बने। उनके इस बयान से यह साफ हो गया कि सुशील मोदी संभवतः मंत्रिमंडल में शामिल ना हों। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि होनी बाकी है।

जदयू से मुख्यमंत्री के अलावा 12 मंत्री बनने की उम्मीद है। इस दल के 43 विधायक चुनकर आए हैं। मंत्री परिषद में जीतकर आए मौजूदा मंत्रियों के बरकरार रहने की अधिक संभावना है। नीतीश सरकार के जदयू कोटे के जो मंत्री जीतकर आए हैं उनमें बिजेन्द्र प्रसाद यादव, श्रवण कुमार, महेश्वर हजारी, बीमा भारती, नरेन्द्र नारायण यादव, मदन सहनी शामिल हैं।

जदयू ने अपने कोटे की 115 सीटों में से 22 पर महिलाओं को उतारा था। इनमें छह जीतकर आई हैं। अपने कोटे के 12 मंत्रियों में यह दल दो महिलाओं को रख सकता है। इनमें बीमा भारती के आलावा धमदाहा से जीतकर आईं लेसी सिंह हो सकती हैं। शेष पांच मंत्रियों को लेकर दल में कई दावेदार दिख रहे हैं। पूर्व मंत्री दामोदर रावत, हरिनारायण सिंह को भी मंत्री बनाए जाने के आसार हैं।

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दल के टिकट पर पहली बार 13 विधायक चुनकर आए हैं। साथ ही चकाई के निर्दलीय विधायक सुमित सिंह (दूसरी बार जीते) ने भी जदयू को अपना समर्थन दिया है। इनमें से भी किसी एक को प्रमोट किया जा सकता है। नीतीश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी और नीरज कुमार को भी मंत्रिपरिषद में रहने की चर्चा है। इसके अलावा सामाजिक समीकरण के लिहाज से भी एक-दो नाम घट-बढ़ सकते हैं, इनमें निरंजन कुमार मेहता, डॉ. ललित नारायण मंडल, रत्नेश सदा के नाम महत्वपूर्ण हैं।

जदयू कोटे के आठ मंत्री चुनाव हार गए हैं। इनमें कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, जयकुमार सिंह, शैलेश कुमार, खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद, संतोष निराला, लक्ष्मेश्वर राय, रामसेवक सिंह, रमेश ऋषिदेव शामिल हैं।

भाजपा में सरकार में शामिल होने के लिए नवनिर्वाचित विधायकों की लॉबिंग भी शुरू हो गई है। पटना से  दिल्ली तक ऐसे नेता अपनी-अपनी गोटी सेट करने में लग गए हैं। मौजूदा निवर्तमान मंत्रियों में बृज किशोर बिंद और सुरेश शर्मा चुनाव हार चुके हैं। बाकी जो चुनाव जीतकर आए हैं, उनका दुबारा मंत्रिपरिषद में शामिल होना तय माना जा रहा है।

सामाजिक समीकरण को देखें तो इस बार के चुनाव में सात यादव, आठ भूमिहार, 17 राजपूत, पांच ब्राह्मण, तीन कायस्थ, चार ईबीसी, 14 वैश्य, छह कुर्मी-कुशवाहा और 10 एससी-एसटी समुदाय से विधायक चुनकर आए हैं। मंत्रिपरिषद में सामाजिक तानाबाना का ख्याल रखा जाएगा। लेकिन यह तय है कि बीजेपी कोटे से बनने वाले मंत्रियों में सवर्ण समुदाय का दबदबा रहेगा।

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