न्यूज डेस्क
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के रिश्ते में पिछले कुछ दिनों से खटास नजर आती दिख रही है। केंद्र की सरकार में जगह न मिलने के बाद नीतीश ने अपने मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी विधायकों को जगह नहीं दी है।
इसके बाद कई मौकों पर नीतीश की पार्टी के नेताओं और बीजेपी नेताओं की गलत बयानबाजी ने मीडिया में खुब सुर्खियां बटोरीं, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों इस बात की चर्चा ने जोर पकड़ा की अब जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन टूट जाएगा।
हालांकि, दोनों दल के नेताओं का कहना है कि गठबंधन में सब ठीक है, लेकिन नीतीश सरकार के द्वारा पिछले दिनों जारी एक आदेश के बाद इस बात की चर्चा फिर तेज हो गई है कि क्या नीतीश और बीजेपी में सब कुछ ठीक है।
दरअसल, बिहार की स्पेशल ब्रांच का एक आदेश इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। स्पेशल ब्रांच की इंटेलिजेंस विंग ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उसके अनुषांगिक संगठनों के राज्य पदाधिकारियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का आदेश दिया है।
यह आदेश 28 मई में स्पेशल ब्रांच के सभी डिप्टी एसपी को जारी किया गया है, जिसमें उनसे संगठनों के पदाधिकारियों का नाम और पते की जानकारी इकट्ठा करने के लिए कहा गया है। साथ ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की हिंदू युवा वाहिनी भी बिहार स्पेशल ब्रांच के निशाने पर है।
स्पेशल ब्रांच की ओर से जारी आदेश में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू जागरण समिति, धर्म जागरण सम्नयव समिति, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, हिंदू राष्ट्र सेना, राष्ट्रीय सेविका समिति, शिक्षा भारती, दुर्गा वाहिनी, स्वेदशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय रेलवे संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ, हिंदू महासभा, हिंदू युवा वाहिनी, हिंदू पुत्र संगठन के पदाधिकारियों का नाम और पता मांगा गया है।