जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। लोक जन शक्ति पार्टी में टूट को लेकर आखिरकार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने एलजेपी में चल रहे घामासान में उनकी पार्टी क हाथ होने से साफ इनकार कर दिया है। अपनी आंख के इलाज कराने के लिए दिल्ली पहुंचे नीतीश कुमार से सभी सवालों का जवाब दिया जिसको लेकर बीते कुछ दिनों से कयास लगाये जा रहे हैं।
उन्होंने पहले साफ किया कि वे कैबिनेट की किसी भी चर्चा के लिए दिल्ली नहीं आए हैं बल्कि वो अपनी आंख के इलाज के लिए यहां आए है। उन्होंने लोक जन शक्ति पार्टी को लेकर कहा कि उनका इससे कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि ये ये पासवान परिवार के आपस का मामला है या उनकी पार्टी का मामला है।
इस दौरान नीतीश कुमार यह भी कहा कि वे लोग मेरा और मेरी पार्टी का नाम केवल पब्लिसिटी स्टंट के लिए ले रहे हैं। ये उनका एक तरीका है जिससे उनका थोड़ा प्रचार प्रसार होगा। वे चाहते हैं कि हम इस मामले पर कुछ बोलें जिससे उनका और प्रचार हो और लोग उनको ज्यादा सुने।
बता दें कि अपने ही चाचा की बगावत से राजनीतिक मझधार में फंसे एलजेपी सांसद चिराग पासवान को कोई राह नहीं सूझ रहा है। लोक जनशक्ति पार्टी में हुई इस टूट को नीतीश कुमार के द्वारा लिया गया सियासी बदला भी माना जा रहा है क्योंकि चिराग ने विधानसभा चुनाव 2020 में नीतीश को हराने के लिए पूरा जोर लगा दिया था और पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद जेडीयू ने इस बात की तसदीक भी की थी। चुनाव के दौरान चिराग ने ख़ुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान भी बताया था।
एनडीटीवी से बातचीत में चिराग पासवान ने कहा, “इस बात को नहीं भूला जाना चाहिए कि हमने 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी का नाम घोषित किए जाने के बाद भी उनसे हाथ मिलाया था जबकि उनके पुराने साथी नीतीश ने उन्हें छोड़ दिया था और ये पासवान वोटर्स ही थे जिन्होंने साथ दिया था।”
वहीं चिराग की कोशिश है कि पिता की राजनीतिक विरासत उन्हें ही मिले, लेकिन जितनी बड़ी टूट एलजेपी में हुई है, उसमें वह अकेले तो पड़ ही गए हैं। उन्हें दिखाना होगा कि वह सियासी दम-खम वाले नेता हैं।