जुबिली बिहार स्पेशल डेस्क
पटना। लोकसभा चुनाव के नतीजे लगभग आ चुके हैं। अब तक नतीजों पर गौर करें तो एनडीए की सरकार बनना तय लग रही है लेकिन बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने सफल नहीं हो पा रही है, उसको अब अपने सहयोगियों पर निर्भर रहना होगा।
एनडीए ने अब तक 292 सीट मिली है जबकि बीजेपी ने अकेले 240 सीट जीती है और ऐसे में उसके पास बहुमत नहीं है लेकिन सहयोगियों के सहारे उसे सरकार बनाने में कोई परेशानी नहीं होगी। मोदी सरकार की तीसरी पारी अब नीतीश कुमार और चंद्र बाबू नायडु पर निर्भर करेगी।
बीजेपी इस बात को पूरी तरह से समझ रही है और दोनों को अपने साथ बनाये रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। इस बीच खबर है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार सुबह-सुबह दिल्ली पहुंच रहे हैं और एनडीए की अहम बैठक होने वाली है और इसमें वो हिस्सा लेने वाले हैं जबकि तेजस्वी यादव भी दिल्ली रवाना हो रहे हैं और इंडिया गठबंधन की बैठक में हिस्सा लेगे।
रोचक बात ये हैं कि दोनों ही नेता एक ही प्लेन से दिल्ली रवाना हो रहे हैं। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत हो सकती है।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व डिप्टी सीएम व राजद नेता तेजस्वी यादव एक ही फ्लाइट से दिल्ली के लिए रवाना हो रहे हैं।
दोनों नेता विस्तार की फ्लाइट से 10.40 बजे दिल्ली के लिए उड़ान भरेंगे। ऐसे में क्या प्लेन में दोनों नेताओं के बीच कोई रणनीति बनेगी? नीतीश कुमार अगर पलटी मारते हैं तो मोदी तीसरी पारी पूरी नहीं हो पायेगी। तेजस्वी यादव बार-बार इस तरह इशारा कर रहे हैं कि उनके चाचा नीतीश कुमार कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं।
क्या था तेजस्वी यादव का दावा?
तेजस्वी यादव ने दावा किया था कि नीतीश कुमार 4 जून के बाद बिहार में कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने नीतीश को इंडिया ब्लॉक में शामिल होने का न्योता भी दिया था।
लोकसभा चुनाव 2024 चुनाव में बीजेपी की कमजोर स्थिति को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश वाकई कोई रणनीतिक कदम उठा सकते हैं। दरअसल, नीतीश कुमार सियासी पाला बदलने में माहिर माने जाते हैं।
2013 से लेकर 2017 तक नीतीश कुमार चार बार पाला बदल चुके हैं।बता दें कि 2013 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने तो वे एनडीए से बाहर हो गए।
2017 में वे फिर से एनडीए में शामिल हो गए, लेकिन 2022 में फिर से आरजेडी में चले गए। 17 महीने बाद वे फिर से एनडीए में शामिल हो गए। उनके सियासी ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए सवाल उठता है कि क्या वे भाजपा की मौजूदा कमजोरी का फायदा उठाएंगे और पलटी मारकर इंडी अलायंस के साथ चले जाएंगे?