- बड़े पैमाने पर निजीकरण की तैयारी में मोदी सरकार
जुबिली न्यूज डेस्क
केंद्र सरकार बड़े पैमाने पर निजीकरण की तैयारी में है। थिंक टैंक नीति आयोग को अगले पांच साल में सरकारी संपत्तियों को बेचने का प्लान तैयार करने के लिए वित्त मंत्रालय ने कहा है।
दरअसल सरकार अपनी फंडिंग की जरूरतों को पूरा करने के लिए निजीकरण करने पर विचार कर रही है। बैंकों के भी निजीकरण की तैयारी में केंद्र सरकार है, जिसका बैंककर्मी पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
वित्त मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव के. राजराजन ने पिछले दिनों कारोबारी संगठन फिक्की की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि नीति आयोग ने 1 लाख करोड़ रुपये एसेट मोनेटाइजेशन का प्लान तैयार किया है।
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एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक केंद्र सरकार अपनी फंडिंग की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस राह पर आगे बढऩे पर विचार कर रही है। इसी कड़ी में वित्त मंत्रालय ने नीति आयोग से अगले 5 साल के लिए प्लान तैयार करने को कहा है।
अधिकारी ने कहा कि प्लान तैयार करने से मार्केट को यह संकेत दिया जा सकेगा कि आने वाले वक्त में किन सेक्टर्स में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश को आकर्षित करने के लिए कई जरूरी कदम उठाए हैं। 2019 से 2025 के बीच नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लान के तहत 111 लाख करोड़ रुपये का प्लान तैयार किया गया है, जिस पर कर्ज मिलना एक चुनौती है और सरकार इस दिशा में काम कर रही है।
सरकारी अधिकारी के अनुसार इस नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लान पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को टास्क फोर्स ने रिपोर्ट सौंपी है। इसके साथ ही बॉन्ड मार्केट से रकम जुटाने, लैंड मोनेटाइजेशन जैसे कई प्लान सुझाए गए हैं, जिनके जरिए इस प्लान के लिए रकम जुटाई जा सकती है।
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दिसंबर में टास्क फोर्स ने नेशनल इन्वेस्टमेंट प्लांट को लेकर अपनी शुरुआती रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें 102 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स के बारे में बताया था, जिन्हें अगले 5 सालों में लागू किया जाना है।
वहीं इस मामले में फाइनेंस मिनिस्ट्री के अडिशनल सेक्रेटरी के. राजराजन ने कहा, ‘इस परियोजना पर कुल 111 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। इसमें से 44 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। 33 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स का खाका तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा 22 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार नेशनल इन्वेस्टमेंट प्लान पर केंद्र सरकार की ओर से 39 फीसदी, राज्यों की ओर से 40 फीसदी और निजी सेक्टर की ओर से 21 फीसदी के योगदान की उम्मीद की जा रही है।