न्यूज़ डेस्क
हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ हुई गैंगरेप की घटना और उन्नाव में हुई रेप पीड़िता की घटना ने एक बार फिर से लोगों के जहन में निर्भया कांड की यादें ताजा कर दी हैं। इसके बाद से ही निर्भया के दोषियों को फांसी देने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। दिल्ली में हुए निर्भया कांड को सात साल बीत चुके है लेकिन आज तक निर्भया को इंसाफ नहीं मिल पाया।
इस बीच बताया जा रहा है कि निर्भया कांड के दोषियों को फांसी की सजा देने की तैयारी शुरू कर दी गई है। खबर है कि 16 दिसंबर को सभी दोषियों को फांसी पर लटकाया जा सकता है। इसके लिए जिस स्थान पर फांसी देनी है उस जगह की साफ़ सफाई का काम भी शुरू कर दिया गया है।
बता दें कि चार दोषियों में एक दोषी विनय शर्मा की तरफ से राष्ट्रपति के पास दाखिल की गयी दया याचिका को गृह मंत्रालय ने नामंजूर करने की सिफारिश की है। इसके अलावा खबर है कि मामले में दोषी पवन को मंडोली जेल से तिहाड़ जेल भी शिफ्ट किया गया है।
इस मामले में छह दोषियों में से एक की जेल में पहले ही मौत हो चुकी है, वहीं, एक नाबालिग दोषी सजा काटकर जेल से बाहर आ चुका है। अब जो चार दोषी बचे हैं उनकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है। ऐसे में कयास लगाये जा रहे हैं कि गृह मंत्रालय की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति जल्द ही दया याचिका पर फैसला ले सकते हैं।
वहीं, अगर राष्ट्रपति ने सभी दोषियों की दया याचिका ख़ारिज कर देते हैं तो गुनहगारों को फांसी होनी तय है। ऐसे में माना जा रहा है कि मेरठ के पवन जल्लाद को ही इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी। हालांकि, इसके लिए आधिकारिक तौर पर अभी तक पवन से संपर्क नहीं किया गया है।
मेरठ के पवन ने फांसी देने की मांग
पत्रकारों से बातचीत एक दौरान पवन जल्लाद ने निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने की मांग उठाई थी। उन्होंने कहा था कि ऐसे जघन्य कांड के गुनहगारों को फांसी ही देनी चाहिए, ताकि दूसरे अपराधी भी इसको देखकर डर जाएं। उनके मन में भी ऐसा अपराध करने से पहले फांसी का खौफ रहे।
पहले होगा ट्रायल
उन्होंने बताया की फांसी देने से पहले ट्रायल होता है, ऐसा इसलिए कि फांसी देने के समय किसी तरहकी कोई गलती न हो। फांसी के फंदे से कोई भी अपराधी बिना मरे वापस न आ सके।