जुबिली न्यूज डेस्क
केरल सरकार ने कोझिकोड ज़िले में निपाह वायरस का संक्रमण के फैलने से हड़कंप मच गया है. जिसके बाद एक हफ्ते के लिए स्कूल बंद रखने का फैसला किया है. राज्य सरकार की ओर से उन सभी लोगों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है जो संक्रमित पाए गए लोगों के संपर्क में आए हैं. इसके साथ ही केंद्र सरकार की एक टीम कोझिकोड पहुंच गयी है. इस टीम ने निपाह वायरस से संक्रमित क्षेत्र का दौरा किया है.वहीं, राज्य सरकार ने वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों के क्वारंटीन के लिए उचित इंतज़ाम करना शुरू कर दिए हैं.
कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग शुरू
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने अब से कुछ घंटे पहले बताया है कि अब तक कुल तीन सैंपल पॉज़िटिव पाए गए हैं.वहीं, अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है.समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, उन्होंने कहा है है कि “हमने कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग शुरू कर दी है. इस प्रक्रिया में मिले 706 कॉन्टेक्ट्स में से 77 लोग हाई रिस्क केटेगरी मे हैं. 153 स्वास्थ्य कर्मी लो रिस्क कैटेगरी में हैं. जो मरीज हाई रिस्क कैटेगरी में हैं, उन्हें अपने घरों में रहने के लिए कहा गया है. अगर उनमें लक्षण नज़र आते हैं तो वे कॉल सेंटर पर संपर्क कर सकते हैं.”वीणा जॉर्ज ने बताया है कि ऐसे मरीज़ जिनमें लक्षण नज़र आते हैं तो उन्हें मेडिकल कॉलेज भेजा जाएगा.
कोझिकोड प्रशासन ने सात ग्राम पंचायतों को कंटेनमेंट ज़ोन घोषित कर दिया है ताकि इस क्षेत्र से निपाह वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने कुछ घंटे पहले निपाह प्रभावित क्षेत्रों में जाने के लिए मोबाइल वायरॉलजी लैब को रवाना किया है.इस ताज़ा आउटब्रेक से जुड़ी जानकारी आना जारी है जिसे बीबीसी की ओर से लगातार उपलब्ध कराया जाएगा.
कैसे फैलता है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक़ निपाह वायरस एक तेज़ी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है.NiV के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था.वहीं से इस वायरस को ये नाम मिला. उस वक़्त इस बीमारी के वाहक सूअर बनते थे.लेकिन इसके बाद जहां-जहां NiV के बारे में पता चला, इस वायरस को लाने-ले जाने वाले कोई माध्यम नहीं थे.साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए.इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल पदार्थ को चखा था और इस तरल पदार्थ तक वायरस को लेने जानी वाले चमगादड़ थे जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है.
अबतक कोई इलाज नहीं
इस वायरस के एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंचने की पुष्टि भी हुई. और ऐसा भारत के अस्पतालों में हुआ है.इंसानों में NiV इंफ़ेक्शन से सांस लेने से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है या फिर जानलेवा इंसेफ़्लाइटिस भी अपनी चपेट में ले सकता है.इंसानों या जानवरों को इस बीमारी को दूर करने के लिए अभी तक कोई इंजेक्शन नहीं बना है.सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक़ निपाह वायरस का इंफ़ेक्शन एंसेफ़्लाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग़ को नुक़सान होता है.
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बीमारी के लक्षण क्या?
इस वायरस से संक्रमित होने के बाद व्यक्ति 3 से 14 दिन तक तेज़ बुख़ार और सिरदर्द का सामना कर सकता है.ये लक्षण 24 से 48 घंटों में मरीज़ को कोमा में पहुंचा सकते हैं.इंफ़ेक्शन के शुरुआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है जबकि लगभग आधे मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं.साल 1998-99 में इस वायरस की चपेट में 265 लोग आए थे.अस्पतालों में भर्ती हुए इनमें से क़रीब 40% मरीज़ ऐसे थे जिन्हें गंभीर नर्वस बीमारी हुई थी और उन्हें बचाया नहीं जा सका था.आम तौर पर इंसानों में ये वायरस इंफेक्शन की चपेट में आने वाले चमगादड़ों, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैलता है.मलेशिया और सिंगापुर में इसके सूअरों के ज़रिए फैलने की जानकारी मिली थी जबकि भारत और बांग्लादेश में इंसान से इंसान का संपर्क होने पर इसकी चपेट में आने का ख़तरा ज़्यादा रहता है.
निपाह से बचाव के लिए क्या करें?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिन स्थानों पर निपाह का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है वहां की यात्रा करने से बचना चाहिए. इसके अलावा बचाव के लिए हाथों को समय-समय पर धोते रहे और फलों-सब्जियों के सेवन से पहले उसे अच्छी तरह से साफ कर लें.