न्यूज डेस्क
गंगा नदी की सफाई को लेकर पूरे साल योजनाएं सुनने को मिलती है। गंगा सफाई पर तो ना जाने कब से नीतियां बन रही हैं और दावे किए जा रहे हैं। मोदी सरकार गंगा नदी की सफाई के लिए अलग से मंत्रालय बनाकर अरबों रुपए खर्च कर चुकी है।
पिछली मोदी सरकार में उमा भारती और नितिन गडकरी जैसे बड़े नेता जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय को संभाल रहे थे, वहीं इस बार इसकी कमान जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत को सौंपी गई है और मंत्रालय का नाम बदलकर जल शक्ति मंत्रालय रखा गया है। लेकिन गंगा नदी की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
Untreated sewage flowing directly in Ganga at Varanasi. Every day we are putting videos of sewage. Absolutely no reaction from authorities! I can’t see, Mother Ganga dying! Feeling helpless! Join hands to save Ganga ji at Varanasi, before it turns out to be another sewage river. pic.twitter.com/szt9kRxkw2
— Vijaya nath Mishra (@MishraVn) July 6, 2019
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की माने तो गंगा नदी की सफाई तो नहीं हुई लेकिन कचरा और गंदगी बढ़ गई है। इसीलिए गंगा नदी में अनट्रीटेड सीवेज वाटर की निकासी रोकने में असफल रहने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर लगाया 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
एनजीटी ने कहा कि चमड़े के अवैध कारखाने और क्रोमियम के ढेर के कारण कानपुर देहात और रनिया में पीना लायक पानी नहीं है। यूपी सरकार पर 10 करोड़ के जुर्माने के अलावा गंगा में कचरा रोकने में नाकाम रहने पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण बोर्ड पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।