जुबिली न्यूज डेस्क
देश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। वहीं इस बीच एक राहत की खबर आई है। देश में कोरोना के रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट बहुत कम मिले हैं।
इनमें से किसी में भी ट्रांसमिशन में बढ़ोत्तरी, गंभीर बीमारी या अस्पताल में भर्ती कराने के मामले नहीं दिखे हैं।
यह जानकारी भारतीय SARS-COV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) की रिपोर्ट में दी गई है।
अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के मुताबिक, रिकॉम्बिनेंट वायरस के दो अलग-अलग वेरिएंट्स के जेनेटिक मैटेरियल के कॉम्बिनेशन से तैयार होता है।
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रिपोर्ट के मुताबिक, “जीनोम सीक्वेंसिंग की स्टडी से पता चला है कि देश में रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट्स बहुत कम मिले हैं। अब तक किसी में भी ट्रासंमिशन में बढ़ोतरी या गंभीर बीमारी या फिर अस्पताल में भर्ती करने का मामला नहीं देखा गया है। भले ही यह कोरोना वायरस की यह नई लहर हो, लेकिन यह उतनी विनाशकारी नहीं है जितनी पिछले साल अप्रैल में देखी गई थी।”
INSACOG ने कहा है कि कहना है कि 52 लैब में कोरोना वायरस के म्यूटेशन की मॉनिटरिंग का काम जारी है। शोधकर्ताओं ने बताया कि रिकॉम्बिनेंट्स के संदिग्ध वैरिएंट्स की करीब से निगरानी की जा रही है। साथ ही जनता के स्वास्थ्य को लेकर किसी भी तरह के अलर्ट पर नजर बनी हुई है।
240,570 सैंपल्स की स्टडी के बाद तैयार हुई रिपोर्ट
लगभग तीन महीने की स्टडी के बाद INSACOG की ओर से यह रिपोर्ट अपलोड की गई है। 8 अप्रैल तक 240,570 सैंपल्स की स्टडी के बाद इस रिपोर्ट के तैयार किया गया।
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