जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के हाथरस काण्ड में सीबीआई की चार्जशीट से एक नया मोड़ सामने आ गया है. पीड़िता की मौत के बाद पुलिस द्वारा उसकी लाश को अँधेरे में खुद ही जला देने के बाद हुए हंगामे की गूँज पूरे देश में सुनाई पड़ी थी. सत्ता और विपक्ष के बीच खूब कहासुनी हुई थी लेकिन सरकार यह मानने को तैयार नहीं हुई थी कि लड़की के साथ गैंगरेप जैसा कुछ हुआ था.
सीबीआई ने हाथरस काण्ड में आज जो चार्जशीट दाखिल की है उसमें चारों आरोपितों पर गैंगरेप और हत्या का आरोप फ्रेम किया है. सीबीआई ने संदीप, लवकुश, रवि और रामू पर रेप और हत्या का दोषी माना है. सीबीआई ने आरोपितों के खिलाफ एससी और एसटी एक्ट के तहत भी आरोप फ्रेम किये हैं.
सीबीआई की चार्जशीट का आधार पीड़िता का मृत्यु पूर्व बयान है. सीबीआई ने अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपितों की गुजरात में ब्रेन मैपिंग टेस्ट और पालीग्राफी टेस्ट के अलावा बायोस प्रोफाइलिंग कराई थी.
हाथरस काण्ड की एफआईआर कराने वाले पीड़िता के भाई का फारेंसिक साइकोलाजिकल टेस्ट भी सीबीआई कराएगी. यह टेस्ट कराकर सीबीआई कुछ सवालों का सटीक जवाब चाहती है. पीड़िता के भाई से होने वाली पूछताछ को रिकार्ड किया जायेगा.
पीड़िता की वकील सीमा कुशवाहा ने अदालत को बताया कि पीड़ित परिवार को मुआवजा दिलाने की ज़िम्मेदारी हाथरस के डीएम की थी लेकिन उन्होंने अब तक कुछ भी नहीं किया है. मामले की अगली सुनवाई कोर्ट में 27 जनवरी को होनी है. हाथरस के डीएम और एसपी को कोर्ट ने उसी दिन तलब किया है.
उल्लेखनीय है कि इसी 14 सितम्बर को पीड़िता के साथ गैंगरेप और मारपीट का मामला हुआ था. गंभीर हालत में पीडिता को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहाँ उसकी 29 सितम्बर को मौत हो गई थी. लड़की की मौत के बाद उसी रात पुलिस ने लड़की की की लाश का खुद ही हाथरस में अंतिम संस्कार कर दिया था.
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पुलिस द्वारा घर वालों की मर्जी के बगैर किये गए अंतिम संस्कार के बाद हंगामा बहुत ज्यादा बढ़ गया था. विपक्ष के बड़े नेताओं के हाथरस पहुँचने के बाद सियासत इतनी ज्यादा गर्म हो गई कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सीबीआई जांच की सिफारिश करनी पड़ी थी.