न्यूज डेस्क
तस्वीर में दिख रहे इस मासूम बच्चे का नाम अदालत है। अदालत पढ़ाई में बहुत अच्छा है और उसके माता-पिता ने उसका दाखिला प्राइमरी स्कूल में करा रखा है। शुरू में अदालत रोज स्कूल जाता था, लेकिन अब वो स्कूल नहीं जाता। उसका बैग और कापी-किताबें घर के एक कोने में पडे-पड़े धूल खा रहे हैं। इसकी वजह अदालत के अभिभावकों का अशिक्षित होना और गरीबी है।
अदालत जैसे बच्चे वापस स्कूल जा सके और अपनी पढ़ाई को पूरी कर सके, उनके लिए एक्शन एड संस्था पिछले लंबे समय से काम कर रही है। एक्शन एड संस्था प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए अपनी ‘नई पहल’ टीम के माध्यम से बच्चों के अभिभावकों से मिलती है और उन्हें बच्चों को स्कूल भेजने के लिए जागरूक करती है।
यूपी के सोनभद्र के ऐसे ही एक गांव में नई पहल टीम की मेहनत से गांव का भविष्य सुधर गया और वो बच्चे जो स्कूल नहीं जाते थे अब स्कूल जाने लगे। दरअसल, यहां के रॉबट्सगंज ब्लॉक का घसिया कस्बा पिछड़े गांव में गिना जाता है। इस गांव में मुख्यत: अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं, जिनमे अधिकतर कम पढ़े-लिखे हैं और ये लोग मजदूरी करके अपना जीवनयान करते हैं।
गरीबी और अज्ञानता के वजह से यहां के लोगों को रोजमर्रा की जरूरी चीजो के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। यहां की मुख्य समस्या पानी है और पीने के पानी के लिए इन लोगों को गांव से तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। ऐसे में वे बच्चे जिन्हें पढ़ाई के स्कूल जाना चाहिए वे भी परिवार के साथ पानी लेने जाते हैं और घर वालों के साथ मजदूरी करने जाते हैं।
पहल टीम को जब इस बात की जानकारी मिली तो उनकी टीम के सदस्यों ने गांव में जाने का फैसला किया। गांव पहुंचकर ‘नई पहल’ टीम ने नौ साल के मासूम बच्चा अदालत और उनके परिवार से मुलाकात की। अदालत अपने माता-पिता के साथ घसिया गांव में ही रहता है उसके दो भाई और एक बहन है।
पहल टीम ने इस परिवार से बात करने पर पाया कि अदालत का एडमिशन प्राइमरी स्कूल में हुआ, लेकिन वो स्कूल नहीं जा पाता है। वहीं उसके भाई और बहन का तो दाखिला भी स्कूल में नहीं हुआ है।
गांव की दशा देने के बाद नई पहल टीम ने अदालत और उसके परिवार व गांव वालों की मदद करने का फैसला किया। इसके लिए नई पहल की टीम ने घसिया कस्बे में जाकर कई सामुदायिक बैठकें आयोजित कीं। इसके अलावा गांव में जाकर डोर-टू-डोर शिक्षा अभियान और सेमिनार का आयोजन किया।
नई पहल टीम के सदस्यों ने उन बच्चों की एक सूची तैयार की, जिन्हें विभिन्न कारणों से स्कूल से बाहर कर दिया गया था। टीम ने अदालत जैसे कई बच्चे स्कूल जाने के लिए उत्सुक थे, लेकिन उसके माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने में अनिच्छुक थे।
टीम ने उसके माता-पिता से मुलाकात की और उन्हें फिर से अपने बच्चे को भेजने के लिए राजी किया। नई पहल टीम के सदस्यों से मेहनत से घसिया गांव के बच्चे नियमित रूप से स्कूल जाने लगे और अदलात उनमें से एक है।